इस बार गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को मनाई जा रही है. इसी दिन महाभारत के रचयिता ऋषि वेद व्यासजी का जन्म हुआ था, इसीलिए इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं. सनातन धर्म में गुरु को सर्वोपरि रखा गया है. इस दिन अपने गुरुओं की पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.
पीएम मोदी 2024 में लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री चुने गए. पीएम मोदी, बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं.
पीएम मोदी बचपन से ही आरएसएस संगठन से जुड़े हुए थे. लेकिन राजनीति में सक्रियता उनकी लालकृष्ण आडवाणी से मिलने के बाद शुरू हुई थी. 25 नवंबर 1990 को लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में रथ यात्रा निकली थी. इस यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी लालकृष्ण आडवाणी के सारथी बने थे.
सीएम योगी उत्तर प्रदेश के लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री चुने गए. सीएम योगी अपना राजनीतिक गुरु गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ को मानते हैं.
महंत अवेद्यनाथ का जन्म 28 मई 1921 में हुआ था. वह भारत के राजनेता तथा गुरु गोरखनाथ मंदिर के पीठेश्वर थे. वे गोरखपुर लोकसभा से चौथी लोकसभा के लिए हिंदू महासभा से सर्वप्रथम निर्वाचित हुए थे. इसके बाद नौवीं, दसवीं तथा ग्यारहवीं लोकसभा के लिए चुने गए.
केशव प्रसाद मौर्या वर्तमान में यूपी के डिप्टी सीएम हैं. वह कौशांबी सीट से आते हैं. केशव प्रसाद मौर्या अपना राजनीतिक गुरु विहिप नेता अशोक सिंघल को मानते हैं. केशव प्रसाद मौर्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आने के बाद विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और भाजपा में 18 वर्ष प्रचारक रहे हैं.
उत्तर प्रदेश की सियासत में केशव मौर्य के कद का दूसरा ओबीसी नेता नहीं है. शायद यही वजह है कि इस बार विधानसभा चुनाव में हारने के बाद भी भाजपा ने उनको फिर सम्मानित पद दिया है.
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती अपना राजनीतिक गुरु कांशीराम को मानती हैं. बसपा के संस्थापक कांशीराम ने मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था.
कांशीराम के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति शुरू की थी. कांशीराम पुणे में डीआरडीओ में लैब असिस्टेंट के पद पर तैनात थे, नौकरी के दौरान एक ऐसी घटना घटी जिसके चलते कांशीराम ने राजनीति में कदम रख दिया.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपना राजनीतिक गुरु जेनेश्वर मिश्रा को मानते हैं. जेनेश्वर मिश्रा को छोटे लोहिया कहा जाता है. मुलायम सिंह यादव ने जेनेश्वर मिश्रा की देखरेख में ही अखिलेश को राजनीति के गुरु सीखने की बात कही थी.
जेनेश्वर मिश्रा का जन्म 5 अगस्त 1933 को बलिया में हुआ था. जनेश्वर मिश्र की पढ़ाई-लिखाई इलाहाबाद में हुई थी. जनेश्वर मिश्र शुरुआत से ही मेधावी और संघर्षशील नवयुवक के रूप में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की राजनीति में भी जाने जाने लगे थे.