वाराणसी के भेलूपुर में गुरुधाम मंदिर बना है. इस मंदिर का निर्माण राजा जयनारायण घोषाल ने अपने गुरु के लिए साल 1814 में कराया था.
मिश्रित शैली में निर्मित यह मंदिर योग और तंत्र विद्या पर आधारित है. खास बात यह है कि इस मंदिर में 8 प्रवेश द्वार हैं.
इतना ही नहीं इस मंदिर के सात द्वार सप्तपुरियों अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, उज्जैन और पुरी के प्रतीक हैं. आठवां द्वार गुरु का द्वार है.
जानकारों का कहना है कि गुरुधाम मंदिर का प्रवेश द्वार काशी द्वार है. इसके बाद गुरु मंदिर स्थित है. मंदिर के भूतल से जाने के लिए सीढ़ी बनी है.
मंदिर के पहले तल पर गर्भगृह बना है. पहले तल के ऊपर एक और फ्लोर है. दूसरे तल पर राधा-कृष्ण और तीसरे तल पर व्योम यानी शून्य का प्रतिक मंदिर है.
कहा जाता है कि द्वितीय तल योग-साधना की चरम अवस्था का प्रतीक है. मंदिर के पहले तल पर गुरु वशिष्ठ और अरुंधति की मूर्ति स्थापित थी.
यह देश का पहला अनोखा शून्य मंदिर यानी गुरुधाम मंदिर है, जो अष्टकोणीय है. योग और तंत्र साधना के दृष्टि से बना इस तीन मंजिले मंदिर में कई रहस्य आज भी छिपे हैं.
गुरुधाम मंदिर करीब 84 बीघे में बना है. इस मंदिर का मुख्य उद्देश्य गुरु के सानिध्य से ईश्वर की प्राप्ति और ईश्वर से व्योम यानी मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है.
इस मंदिर में कभी 8 द्वार हुआ करते थे, जिसके नाम पर इसे अष्टकोणीय मंदिर भी कहा जाता था.
योग और तंत्र साधना के भाव से बने ऐसे मंदिर भारत में दो जगहों पर है. इसमें से एक बंगाल के हतेश्वरी में और दूसरा दक्षिण भारत के भदलुर में स्थित है.
अब इस मंदिर का कायाकल्प होने जा रहा है. पीएम मोदी 20 अक्टूबर को वाराणसी आ रहे हैं. इस दौरान वह 1300 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात देंगे.
इसके तहत मंदिर के रेनोवेशन का काम किया जाएगा. इसमें फसाड लाइटें भी लगाई जाएंगी. मंदिर के पास एक पाथवे का भी निर्माण होगा. इसमें करीब तीन करोड़ रुपये का खर्च आएगा.