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Indias Famous Hindu Temples: भारत के इन मंदिरों में होती है गधे, कुत्ते-बिल्ली और उल्लू की पूजा, जानें इन मंदिरों की मान्यता

भारत में जहां बिल्ली,उल्लू और गधे को एक अलग नजर से देखा जाता है. वहीं भारत के कुछ मंदिर ऐसे भी है जहां इन जानवरों की पूजा की जाती है. आइए बताते हैं इन मंदिरों की मान्यता और विशेषता. 

गधे की पूजा

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गधे की पूजा

राजस्थान के डूंगरी में शीतला  होली के आठ दिन बाद मनाए जाने वाले लोक पर्व शीतलाष्टमी पर महिलाएं गधे की पूजा करती है. राजस्थान में स्थौया भाषा में शीतलाष्टमी को 'बास्योड़ा' भी कहा जाता है. महिलाएं शीतला माता मंदिर में ठंडे भोजन का भोग लगाने के बाद गधे की पूजा करती है.  इसके बाद घर लौटकर बासी भोजन का सेवन किया जाता है. 

छत्तीसगढ़ में होती है कुत्ते की पूजा

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छत्तीसगढ़ में होती है कुत्ते की पूजा

छत्तीसगढ़ के कुकुरचबा मंदिर में कुत्ते की पूजा की जाती है. ये मंदिर दुर्ग जिला के धमधा ब्लॉक के भानपुर गांव से खेतों के बीच में स्थित है. इस मंदिर के गर्भगृह में कुत्ते की प्रतिमा स्थापित है. इसका निर्माण 16-17 शताब्दी के समय एक वफादार कुत्ते की याद में हुआ था. 

 

यहां बलि के बाद भी जिंदा रहते हैं बकरे मुर्गे

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यहां बलि के बाद भी जिंदा रहते हैं बकरे मुर्गे

डूंगरपुर मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर गलियागोट में बसा शीतला माता का मंदिर लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ हैं. इस मंदिर को लेकर लोगों का मानना है कि यहां शीतला माता से मांगी हर मुराद पूरी होती है. मुराद पूरी होने पर यहां बकरा या मुर्गी चढ़ाते हैं. मगर यहां पर ना बकरे और ना ही मुर्गी की बली दी जाती है. बल्कि इनको नया जीवन दान दिया जाता है.  

बलि के बाद भी रहते हैं जिंदा

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बलि के बाद भी रहते हैं जिंदा

मान्यता के अनुसार, सिर्फ़ बकरे और मुर्गी के कान को चाकू से हल्का काटा जाता है. बाद में उन बकरों और मुर्गियों को मंदिर परिसर छोड़ दिया जाता है. बकरे और मुर्गियों रखने के लिए मंदिर परिसर में एक बाड़ा बनाया गया है. वहीं, मंदिर में आने वाले श्रदालु इनको दान पानी डालते रहते हैं.

 

लाखों की तादात में आते हैं मिट्ठू

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लाखों की तादात में आते हैं मिट्ठू

इंदौर में करीब 200 साल पुराने पंचकुइयां श्री राम मंदिर है इसके अलावा खेड़ापति बालाजी का भी मंदिर है. इस मंदिर में लाखो की संख्या में तोते नियमित रूप से ज्वार अरु दाना खाने आते हैं. 

संत के रूप में आते हैं तोते

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संत के रूप में आते हैं तोते

तोतों को ज्वार डालने का काम करने वाले रमेश अग्रवाल बताते हैं कि  पंचकुइयां क्षेत्र में संतों ने बहुत तपस्या की है. अतः यह एक तपोभूमि है, इसलिए जो तोते ज्वार ग्रहण करने आते हैं, वे संत रूपी हैं. यह हनुमानजी की कृपा भी है कि यह लंगर करीब 50 वर्षों से निरंतर चला आ रहा है. यह सेवा उस समय से दी जा रही है, जब हनुमानजी का मंदिर एक चबूतरे पर था. 

उज्जैन गज लक्ष्मी मंदिर

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उज्जैन गज लक्ष्मी मंदिर

मध्यप्रदेश के उज्जैन में मां लक्ष्मी हाथी पर सवार है. माता के इस रूप की पूजा गज लक्ष्मी के रूप में की जाती है. मान्यता है कि पूरे विश्व में उज्जैन का गज लक्ष्मी मंदिर इकलौता मंदिर है जहां गज लक्ष्मी की दुर्लभ प्रतिमा स्थित है.

 

यहां बिल्ली की होती है पूजा

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यहां बिल्ली की होती है पूजा

कर्नाटक के मांड्या जिले से 30 किलोमीटर दूर बेक्कालेले गांव मौजूद है. इस गांव का नाम कन्नड़ के बेक्कू शब्द से पड़ा है. इस शब्द का मतलब बिल्ली होता है. कहा जाता है इस गांव के लोग बिल्ली को मनगम्मा देवी का अवतार मानकर उसकी विधि-विधान से पूजा करते हैं. 

ये है मान्यता

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ये है मान्यता

ऐसा मन जाता है कि देवी मनगम्मा ने बिल्ली का रूप धारण करके गांव में प्रवेश किया था और बुरी शक्ति से गांव वालों की रक्षा की थी. उस जगह पर बाद में एक बांबी बन गई थी. तभी से यहां के लोग बिल्ली की पूजा करते हैं. यह बात आपके लिए थोड़ी अजीब जरूर हो सकती है, लेकिन स्थानीय लोगों में बिल्ली के प्रति आस्था है और बिल्ली को सकारात्मक नजरिए से देखते हैं.