Advertisement
trendingPhotos/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2398082
photoDetails0hindi

यूपी का वह शहर जहां है भगवान श्रीकृष्‍ण का ससुराल

इस बार श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी 26 अगस्‍त को मनाई जाएगी. जन्‍माष्‍टमी पर व्रत रखने की परंपरा है. साथ ही भगवान श्रीकृष्‍ण की पूजा अर्चना भी जाती है. मथुरा वृंदावन भगवान कृष्‍ण की जन्‍मस्‍थली रही है. लेकिन क्‍या आपको पता है कि भगवान कृष्‍ण का ससुराल कहां था?.  

औरैया का कुदरकोट गांव

1/10
औरैया का कुदरकोट गांव

यूपी के औरैया जिले के बिधूना तहसील के कुदरकोट गांव को भगवान श्रीकृष्ण का ससुराल कहा जाता है. श्रीकृष्ण के ससुराल में आज भी उनकी पत्नी रुक्मणि माता का महल स्थित है. 

 

जन्‍माष्‍टमी की तैयारियां शुरू

2/10
जन्‍माष्‍टमी की तैयारियां शुरू

औरैया के कुदरकोट गांव में जन्‍माष्‍टमी से पहले तैयारियां शुरू हो जाती हैं. यहां मथुरा वृंदावन की तरह ही धूमधाम से श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी मनाई जाती है. 

 

यह है पौराणिक मान्‍यता

3/10
यह है पौराणिक मान्‍यता

पौराणिक मान्‍यता है कि कुदरकोट में भगवान श्रीकृष्‍ण की पत्‍नी रुक्‍मणि का घर था. यहां भगवान श्रीकृष्ण द्वारा रुक्मणी के हरण करने के प्रमाण भी मिलते हैं. 

 

रानी बना लिया

4/10
रानी बना लिया

बताया जाता है कि कुदरकोट में पांडु नदी पार करके भगवान श्रीकृष्‍ण रुक्मणी का हरण कर द्वारका ले गए थे. यहीं पर रुक्‍मणी से विवाह कर अपनी रानी बना लिया था.

क्षेत्र का विकास नहीं

5/10
क्षेत्र का विकास नहीं

कुदरकोट में अलोप देवी का मंदिर भी है. बताया जाता है कि कुंडिनपुर का नाम कुंदनपुर किया गया. इसके बाद कुदरकोट कर दिया गया. 

रुकमणि माता महल

6/10
रुकमणि माता महल

यहां के लोगों का कहना है कि भगवान श्रीकृष्‍ण का ससुराल होने के बाद भी गांव का विकास नहीं हो रहा है. रुक्‍मणि माता का महल भी यहीं है.  

शिशुपाल से कराना चाह रहे थे शादी

7/10
शिशुपाल से कराना चाह रहे थे शादी

कुंडिनपुर में राजा भीष्‍मक धर्म प्रिय राजा रहते थे. उनकी एक पुत्री थी जिसका नाम रुक्मणी था. वहीं पांच पुत्र रुक्मी, रुक्मरथ, रुक्मबाहु, रुक्मकेस तथा रुक्ममाली थे. 

बचपन के दोस्‍त

8/10
बचपन के दोस्‍त

बचपन में रुक्मी की दोस्‍ती शिशुपाल से हो गई. यही वजह रही कि रुक्‍मी ने अपनी बहन रुक्‍मणी का विवाह शिशुपाल से कराना चाह रहे थे. रुक्‍मणी की शादी शिशुपाल से तय कर दी गई. 

भगवान श्रीकृष्‍ण को भेजा था संदेश

9/10
भगवान श्रीकृष्‍ण को भेजा था संदेश

मान्‍यता है कि रुक्‍मणी ने दूत भेजकर खुद का हरण करने के लिए भगवान श्रीकृष्‍ण को संदेश भेजवाया. इसके बाद भगवान श्रीकृष्‍ण रुक्‍मणी का हरण करने कुंदनपुर पहुंच गए. 

अलोप देवी का मंदिर

10/10
अलोप देवी का मंदिर

यहां अपने साथ द्वारका ले आए. रुक्‍मणी के हरण के बाद देवी गौरी अलोप हो गई. इसके बाद वहां पर अलोप देवी मंदिर की स्‍थापना की गई.