मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को एबटाबाद, ब्रिटिश इंडिया (अब खैबर पख्तूनख्वा, पाकिस्तान) में हुआ था. उनका असली नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी था.
मनोज कुमार ने बचपन में दिलीप कुमार की फिल्म शबनम देख ली थी. इसके बाद उन्होंने भी अभिनेता बनने का सपना देखा.
मनोज कुमार के बारे में कहा जाता है कि वह एकलौते ऐसे एक्टर हैं, जिन्होंने सरकार से केस जीता था.
दरअसल, देश में आपातकाल लगने के बाद मनोज कुमार ने इसका विरोध किया था. इससे सरकार नाराज हो गई थी.
कहा जाता है कि जब तत्कालीन मंत्री चरण शुक्ला के लोग मनोज कुमार को प्रो-इमरजेंसी डॉक्यूमेंट्री बनाने का ऑफर दिया तो उन्होंने इनकार कर दिया था.
इतना ही नहीं मनोज कुमार ने डॉक्यूमेंट्री के लेखक अमृता प्रीतम को फोन कर इतना तक कह दिया था कि क्या लेखक के तौर पर समझौता कर लिए हो.
यही वजह रही कि मनोज कुमार के लिए इमरजेंसी का दौर चुनौतीपूर्ण रहा. उस दौर में उनकी फिल्में भी फ्लाप हो गई थीं.
इतना ही नहीं मनोज कुमार की एक फिल्म दस नंबरी पर रोक तक लगा दी गई थी. इससे उनका करियर भी समाप्त होने का डर था, हालांकि वह डरे नहीं.
मनोज कुमार ने सरकार के खिलाफ केस तक कर दिया और वह केस जीत भी गए थे. वह एकलौते अभिनेता थे, जिन्होंने सरकार से केस जीता.
मनोज कुमार की पहली फिल्म 'फैशन' थी. उन्होंने कांच की गुड़िया, पिया मिलन की आस, हरियाली और रास्ता, शहीद, वो कौन थी, दो बहन, हिमालय की गोद में, गुमनाम और सावन की घटा जैसी फिल्मों में काम किया