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महामारी पर अध्यात्म भारी : कोरोना काल में दुनिया के सबसे बड़ा मेले की तैयारी, देखें तस्वीरें

 दुनिया के सबसे बड़े मेले की तैयारी उत्तर प्रदेश प्रशासन के लिए इस बार किसी महाभारत से कम नहीं है. एक तरफ तो कोरोना महामारी की दूसरी लहर उत्तर प्रदेश में अपना तांडव दिखा रही है, दूसरी ओर अध्यात्म और धर्म के सबसे बड़े संगम की तैयारी प्रशासन शुरू कर चुका है.

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कोविड 19 की आरटीपीसीआर निगेटिव होने के बाद ही संतों और कल्पवासियों को यहां प्रवेश मिलेगा.

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प्रयागराज मेला प्राधिकरण की बैठक में फैसला किया गया है कि माघ मेले में कल्पवास के लिए आने वाले साधु-संतों और कल्पवासियों को मेले में प्रवेश के लिए अपने साथ कोविड जांच की रिपोर्ट देनी होगी.  (मेले के बीच भी होगा सर्वे )

 

 

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संतो-कल्पवासियों के शिविरों में हर हफ्ते होगा कोरोना सर्वे किया जाएगा. मेले में आध्यात्मिक संस्थाओं के शिविरों का सर्वे कर कोविड पॉजिटिव रोगियों डेटाबेस तैयार किया जाएगा ताकि संक्रमण मेले में न फैलने पाए. माघ मेले में आये कल्पवासियों का पखवाड़े के अंदर एंटीजन टेस्ट होगा. (जानिए कब से शुरू है माघ मेला )

 

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संगम की रेती पर 14 जनवरी से शुरु होगा विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला शुरू होने वाला है. कोरोना काल में ये सबसे बड़ा मानव समागम होगा. हर साल करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. इसलिए मेला प्राधिकरण के सामने सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती होगी. (सीएम ने तैयारियों की समीक्षा की )

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर भी प्रयागराज में आयोजित होने वाले माघ मेले 2020-21 की सभी तैयारियों की समीक्षा की. उन्होंने निर्देश दिए कि माघ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं विशेषकर कल्पवासियों एवं संतों के लिए उच्च स्तर की व्यवस्था करते हुए सभी सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएं. (कल्पवासियों की स्वच्छता का पूरा प्रबंध)

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कल्पवासियों की सुरक्षा और स्वच्छता का प्रबंध किया जाता है. उन्होंने कहा कि मेला क्षेत्र में सुविधाएं मुहैया कराए जाने तथा सुरक्षा के सम्बन्ध में कोई समझौता न किया जाए.  माघ मेले में आने वाले कल्पवासियों के लिए स्वच्छता, सैनेटाइजेशन का खास ख्याल रखा जा रहा है. (मेले में आने से पहले ये रखें ख्याल)

 

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कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए माघ मेले में आने वाले कल्पवासियों के लिए मेला क्षेत्र में प्रवेश से पहले कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए RTPCR से कोविड टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट को अनिवार्य किया गया है. कल्पवास पर आने वाले श्रद्धालु ये टेस्ट मेला क्षेत्र में आने से तीन दिन पहले करवा लें, ताकि उन्हें रिपोर्ट मिल जाए और वे इसके नेगेटिव होने के आधार पर वे प्रवेश पा सकें. (दो बार और होंगे टेस्ट)

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साथ ही, मेला क्षेत्र में रहने वाले कल्पवासियों का उनके प्रवास के दौरान कम से कम 02 बार रैपिड एंटीजन टेस्ट भी करवाया जाएगा. जो कल्पवासी को-मॉर्बिडिटी से ग्रस्त हों, वे अपने स्वास्थ्य के मद्देनजर कल्पवास के सम्बन्ध में स्वयं निर्णय लें. सीएम ने कहा कि राज्य सरकार श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा के प्रति अत्यन्त संवेदनशील है. (सोशल डिस्टेंसिंग का रखा जाएगा ख्याल)

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माघ मेले के दौरान पौष पूर्णिमा, मकर संक्रान्ति, मौनी अमावस्या, बसन्त पंचमी, माघ पूर्णिमा एवं महाशिवरात्रि आदि के विशेष स्नान पर्वों पर किये जाने वाले प्रबंधों के बारे में भी विचार-विमर्श किया गया है. माघ मेले के शिविरों के निर्धारण, सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करने हेतु उठाए जाने वाले कदमों, कल्पवासियों की संख्या के अवधारण, शिविरों एवं स्नान घाटों पर भीड़ के प्रबंधन हेतु तैयारी, मेला क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था, श्रद्धालुओं के आवागमन को नियंत्रित किये जाने हेतु उठाए जाने वाले कदम भी उठाए जा रहे हैं. (मास्क को लेकर नहीं होगी रियायत)

 

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मेले के दौरान गंगा नदी में जल के बहाव और स्वच्छ पानी की उपलब्धता के विषय में भी मुख्यमंत्री की ओर से आवश्यक निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि अगर मेले के दौरान पण्डालों की स्थापना आवश्यक हो तो इनकी संख्या सीमित रखी जाए. साथ ही, सोशल डिस्टेंसिंगऔर मास्क लगाने पर विशेष ध्यान दिया जाए.