महिलाओं की पीरियड्स लीव के ऊपर चल रहे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने अपना बड़ा फैसला सुना दिया है. जिसमें उन्होनें कहा है कि इस मामले में एक मॉडल नीति तैयार की जाएं
आज के बदलते दौर में महिलाएं पुरुषों के साथ हर काम में कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. किसी भी काम को करने में पीछे नहीं हटती हैं. चाहे वो घर का काम हो या ऑफिस का.
पहले जब महिलाओं को पीरियड्स आते थे तो वो घर के एक छोटे से कमरे में रहती थीं. उस समय तो उन्हें किसी चीज को छूने भी नहीं दिया जाता था. लेकिन आज वक्त बदल गया है.
आज की बदलती जीवन शैली में महिलाएं हर काम को करने में सक्षम हैं. पीरियड्स के दौरान भी महिलाएं काम करती है. फिर चाहे वो घर का हो या ऑफिस का
पीरियड्स के दौरान ऑफिस में महिलाओं को अवकाश मिलने के ऊपर साल 2023 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज की गई थी.
लंबे समय से मासिक धर्म के ऊपर बहस चल रही है. साल 2023 में याचिका दर्ज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 8 जुलाई 2024 को अपना बड़ा फैसला सुना दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दे दिए है कि मासिक धर्म अवकाश पर एक मॉडल नीति तैयार की जाएं. जिसमें राज्यों और अन्य हितधारकों को एक साथ आपस में बातचीत करनी चाहिए.
प्रधान न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अपने फैसले में साफ-साफ शब्दों में कह दिया कि यह मुद्दा नीति से संबंधित है और अदालतों के विचार करने के लिए नहीं है
पीठ ने चिंता जाहिर करते हुए बताया कि महिलाओं को ऐसी छुट्टी देने के संबंध में अदालत का निर्णय प्रतिकूल और ‘हानिकारक’साबित हो सकता है, क्योंकि जॉब देने वाले लोग उन्हें काम पर रखने से परहेज कर सकते हैं.
पीठ मे याचिकाकर्ता से सवाल कर कहा कि पीरियड्स के दौरान अगर वे छुट्टी लेंगी तो महिलाएं कार्यबल का हिस्सा बनने के लिए कैसे प्रोत्साहित करेगी. अगर उन्हे छुट्टी दे दी तो महिलाएं कार्यबल से दूर हो जाएंगी.
न्यायालय ने इससे पहले देशभर में छात्राओं और कामकाजी महिलाओं को मासिक धर्म अवकाश देने का अनुरोध करने वाली याचिका का निपटारा कर दिया था.