हर साल 5 सितंबर को टीचर्स डे मनाया जाता है. इस दिन राजनेता डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन भी है. वह भारत के दूसरे राष्ट्रपति और एक सम्मानित शिक्षक थे. क्या आप जानते हैं उत्तर प्रदेश के कई ऐसे नेता हैं, जो राजनीति में कदम रखने से पहले शिक्षक हुआ करते थे.
केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की गिनती देश के दिग्गज नेताओं में होती है. राजनीति में आने से पहले शिक्षक हुआ था. यूपी के मिर्जापुर में केबी पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में वह फिजिक्स के लेक्चरर रह चुके हैं. यहीं से वह आरएसएस से जुड़े और राजनीति में कदम रखा. वह यूपी के मुख्यमंत्री के साथ बीजेपी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
रमेश पोखरियाल 1982-83 में टीचर की नौकरी किया करते थे. सरस्वती शिशु मंदिर उत्तरकाशी में एक युवा आचार्य सेवाएं देते थे. बतौट शिक्षक उनका सबसे बड़ा गुण यह था कि वह छात्रों के घर जाकर उनकी शिक्षा और रुचि को लेकर अभिभावकों से बातचीत करते थे.
गुलाब देवी यूपी सरकार में माध्यमिक शिक्षामंत्री हैं. उनको चंदौसी के कन्या इंटर कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस पढ़ाती थीं. बाद में इसी स्कूल में प्रिंसिपल भी बनीं. गुलाब देवी का बचपन से ही संघ के प्रति जुड़ाव था, राजनीति में सक्रिय होते ही उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली.
देश के मशहूर कवि कुमार विश्वास गाजियाबाद के लाला लाजपत राय कॉलेज में हिंदी के प्रोफेसर रह चुके हैं. राजनीति में भी उनकी इंट्री के बाद उन्होंने प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया था. राजनीत से मोहभंग के बाद कुमार विश्वास फिर साहित्य रचना के क्षेत्र में लौट गए है.
बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे मुरली मनोहर जोशी ने भी शिक्षक से सियासत में कदम रखा था. वह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के बाद यहां प्रोफेसर भी रहे. इसके बाद राजनीति में इंट्री की. बीजेपी के बड़े नेताओं में उनका नाम पहली पंक्ति में आता है.
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव यूपी के तीन बार मुख्यमंत्री रहे. राजनीति के अखाड़े में उतरने से पहले से नेताजी पहलवानी का शौक रखते थे. वह करहल में लेक्चरर भी रहे. इसके बाद उनकी राजनीति में इंट्री हुई.
बसपा की मुखिया सियासत में आने से पहले टीचर रह चुकी हैं. वह दिल्ली के झुग्गी एरिया (जेजे कॉलोनी) के स्कूल में टीचर थीं. इसके बाद उन्होंने कांशीराम के कहने पर राजनीति में कदम रखा. वह उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह भी राजनीति में आने से पहले टीचर थे. उनको बचपन से पढ़ाने का शौक था. रायपुर मुजफ्फता स्थित केसीए इंटर कॉलेज में शिक्षक के रूप में वह नियुक्त हो गए थे. संघ से जुड़ने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और राजनीति में सक्रिय होते चले गए.
मुलायम सिंह यादव के भाई रामगोपाल यादव राजनीति में आने से पहले प्रोफेसर रह चुके हैं. वह इटावा के केके पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में पहले फिजिक्स और फिर राजनीति विज्ञान के लेक्चरर रहे. यूपी के बड़े नेताओं में उनकी गिनती होती है.