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वाराणसी: सर्दियां आते ही घाटों पर आए ऑस्ट्रेलियन मेहमान, देखिए खूबसूरत तस्वीरें

काशी के घाट यूं तो हमेशा ही आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं. गंगा की कभी मंद तो कभी तेज लहरें और उन पर नौका विहार किसी का भी दिल जीत लेने के लिए काफी है. लेकिन सर्दियां शुरू होते ही इन घाटों पर विदेशी मेहमानों की अठखेलियां शुरू हो जाती हैं, जो किसी को भी अपनी ओर खींच लें.   

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अब वाराणसी का नौका विहार और भी रोमांचक हो चुका है, क्योंकि गंगा की मंद-मंद लहरों के साथ साइबेरियन बर्ड्स की चहचहाने की आवाज इस यात्रा को बेहद खुशनुमा बना रही है. 

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वाराणसी के गंगा घाट के नजारे देखने सात समंदर पार करके पहुंचे पर्यटकों के लिए सर्दियां किसी विजुअल ट्रीट से कम नहीं होतीं. शांत घाटों पर कलरव करते साइबेरियन पक्षियों का झुंड देखते ही हर किसी के चेहरे पर मुस्कान आ रही है. 

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ठंड शुरू होने के साथ ही साइबेरियन बर्ड घाटों पर आ कर घाटों की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं. पर्यटक नौका विहार के साथ ही इन पक्षियों को दाना खिलाते हैं,  जिसे ये पक्षी भी बड़ी ही चाव से खाते हैं. 

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इस बार भी गुलाबी ठंड की शुरुआत में साइबेरियन बर्ड वाराणसी के गंगा घाट पर पहुच चुके हैं. हालांकि इस बार उन्हें दाना खिलाने के लिए ज्यादा लोग नहीं है. ऐसे में अकेले ही पक्षियों का झुंड गंगा की गोद मे घूम रहा है.

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कोविड की वजह से बाहरी पर्यटक काशी नही आ पा रहे हैं, लिहाजा ये पक्षी मायूस और उदास भी हैं. लेकिन नाविकों से इन्हें दाना मिल रहा है, ऐसे में कोई भी नाव दिखते से वे उसकी तरफ रुख कर लेते हैं. 

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वाराणसी में सुबह बनारस और गंगा में नौका विहार के साथ ही पर्यटक गंगा की गोद में इन पक्षियों को दाना खिलाते हैं, जिसे ये पक्षी बड़े चाव से खाकर गंगा की गोद में कलरव करते हुए पर्यटकों को खूब लुभा रहे हैं. 

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सैलानियों की संख्या वाराणसी में कम ही है, लेकिन जैसे ही वे इन पक्षियों को आवाज सुनते हैं, इनके पास पहुंचकर दाना खिलाने के लिए दौड़े चले आते हैं. 

 

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लगभग एक महीने की लम्बी यात्रा कर यहां पहुंचे साइबेरियन पक्षियों के चलते गंगा तटों का नजारा बदल गया है. वहीं विदेशी मेहमानों की मौजूदगी घाटों के सौंदर्य को और खूबसूरत बना रहे हैं.

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सर्दियों के मौसम में वाराणसी में इन पक्षियों की कई प्रजातियां देखने को मिल जाती हैं. इस दौरान करीब 3 महीने तक साइबेरियन पक्षी यहां प्रवास करते हैं और गर्मियों की शुरुआत के वक्त वापस एक लंबी उड़ान के बाद अपने देश लौटते हैं.