केरल में गर्भवती हथिनी के साथ किए गए अत्याचार के बाद पूरे देश में लोगों को तकलीफ हुई थी. लेकिन अब ये खबर आपको सुकून देगी, क्योंकि बिहार के रहने वाले एक शख्स को बेजुबान हाथियों से ऐसा प्यार हुआ कि उसने अपनी ज्यादातर संपत्ति का मालिक ही हाथियों को बना दिया.
अख्तर इमाम ने बचपन से ही हाथी देखे हैं. उनके पिता भी हाथी पाला करते थे. ऐसे में इमाम अख्तर को हाथियों से लगाव हो गया. हालांकि उन्हें ये नहीं पता था कि एक दिन ये हाथी उनकी जान के रखवाले बनेंगे.
अख्तर इमाम बताते हैं कि 'एक बार मुझ पर जानलेवा हमला किया गया था, लेकिन हाथियों ने मुझे बचा लिया था. पिस्तौल हाथ में लिए बदमाश जब मेरे कमरे की तरफ बढ़ने लगे तो हाथी इसे देखकर चिंघाड़ने लगे. इसी बीच मेरी नींद खुल गई और शोर मचाने पर बदमाश भाग निकले.'
अख्तर इमाम खुद कई हाथियों का पालन-पोषण करते हैं, लेकिन वो चाहते हैं कि उत्तराखंड के रामनगर में हाथियों का एक गांव बसाए. इसके पीछे उनका मकसद बुजुर्ग, कमजोर और दिव्यांग हाथियों को सहारा देना है. अख्तर इसके लिए चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन को चिट्ठी भी लिख चुके हैं.
अख्तर बिहार के रहने वाले हैं . 50 वर्षीय अख्तर इमाम पिछले 10 साल से पारिवारिक मतभेद के चलते अलग रहते हैं. उनके दो बेटे और एक बेटी है . इसी बीच उन्होंने अपने बड़े बेटे को जब गलत रास्ते पर जाते देखा तो उसे संपत्ति से बेदखल कर लगभग 5 करोड़ की संपत्ति का मालिक अपने दो हाथियों के नाम कर दी.
अख्तर इमाम ने हाथियों की सेवा और उन्हें तस्करों से बचाने के लिए ऐरावत नाम की संस्था भी बना रखी है. इस संस्था के जरिये हाथियों को सुरक्षा दी जाती है और उन्हें भोजन और पोषण मुहैया कराया जाता है. अगर अख्तर के 2 हाथियों की मौत हो जाती है तो उनके नाम की संपत्ति भी ऐरावत संस्था को ही जाएगी, ताकि हाथियों के कल्याण के लिए काम होता रहे.
जानवरों के प्रति अत्याचार को रोकने और उनके संरक्षण के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था. भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के तहत जानवरों से अत्याचार पर 2 साल तक की सजा और जुर्माना या दोनों का प्रावधान है. जीवों के संरक्षण के लिए इमाम अख्तर जैसे लोग मिसाल बनते हैं, जिनसे सीखने की जरूरत है.