लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस का राजधानी लखनऊ में एक बार फिर मानवीय चेहरा देखने को मिला है. पुलिसकर्मी यहां एक परिवार के लिए उस वक्त देवदूत बनकर आए, जब उनके घर के मुखिया लापता हो गए. चुनौती बड़ी थी क्योंकि 65 वर्षीय बुजुर्ग की याददाश्त कमजोर थी. लेकिन पुलिस ने ऐड़ी-चोटी का जोर लगाया और उन्हें खोज निकाला.


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65 वर्षीय डॉ वाजपेयी को थी भूलने की बीमारी
मामला लखनऊ के कृष्णानगर का है. जहां 65 वर्षीय पूर्व डिप्टी सीएमओ डॉ पीसी वाजपेयी रहते हैं, जो कई सालों से डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी से ग्रसित हैं, साथ ही हॉर्ट पेशंट भी हैं. उनकी पत्नी रंजना वाजपेई ने बताया कि शनिवार शाम 5 बजे वो दाढ़ी बनवाने की बात कहकर अचानक घर से निकल गए. जब काफी देर तक वो नहीं लौटे तो चिंता हुई और तलाश शुरू की गई.


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पुलिस ने लगाया ऐड़ी-चोटी का जोर
डॉ वाजपेयी की पत्नी ने बताया कि पहले कृष्णा नगर थाने में आप बीती बताई लेकिन कोई जानकारी नहीं लग पाई. उसके बाद रात करीब ढाई बजे ACP चिरंजीव नाथ सिन्हा को फोन पर सारी जानकारी दी गई. इसके बाद पुलिस हरकत में आई और रात भर चेकिंग कर सुबह साढ़े 5 बजे उन्हें सकुशल घर लेकर पहुंची. ACP चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि डॉक्टर साहब को ढूंढने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. 5 टीमों का गठन किया गया और रात भर सर्च अभियान चलाया गया.


डॉ वाजपेयी के पैरों में पड़ चुके थे छाले
करीब 20 किमी पैदल चलकर उन्नाव बॉर्डर तक पहुंचे डॉक्टर वाजपेयी के पैरों में छाले पड़ गए थे. ACP चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि डॉ वाजपेयी सुबह करीब 5:30 बजे उन्नाव बॉर्डर से मिले, जिसके बाद उन्हें परिजनों को सौंपा दिया गया. उधर, परिजन पुलिस की कार्रवाई और तत्परता की भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहे हैं.


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