प्रदोष व्रत भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है. हर महीने दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है. ये तिथि भगवान शिव को खुश करने के लिए बड़ी महत्वपूर्ण होती है.
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नई दिल्ली: प्रदोष व्रत भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है. हर महीने दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है. ये तिथि भगवान शिव को खुश करने के लिए बड़ी महत्वपूर्ण होती है. अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष की महिमा अलग-अलग होती है. प्रदोष व्रत वैसे तो माह में दो बार आता है. सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष धार्मिक महत्व माना जाता है.
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महीने में दो बार आता है प्रदोष व्रत
साल 2021 का पहला प्रदोष व्रत 10 जनवरी यानी आज रखा जा रहा है. प्रदोष व्रत कलियुग में अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करनेवाला होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है.
होता है सूर्य से सीधा संबंध
रविवार को पड़ने वाले प्रदोष का संबंध सीधा सूर्य से होता है. ये व्रत करने से शिव जी, चंद्रमा के साथ सूर्य की कृपा भी प्राप्त होती है. प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ने से इसे शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है. इस दिन संतान प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है.
व्रत का शुभ मुहूर्त
पौष, कृष्ण पक्ष त्रयोदशी
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ- 10 जनवरी, रविवार, दोपहर 4 बजकर 52 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 11 जनवरी, सोमवार, दोपहर 2 बजकर 32 मिनट तक
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव का अभिषेक करें. पूजा में पंचामृत का प्रयोग करें. धूप दिखाएं और भगवान शिव को भोग लगाएं. इसके बाद व्रत का संकल्प लें. माना जाता है इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों पर शिव जी की विशेष कृपा होती है और व्यक्ति के सभी दुख और कष्ट खत्म हो जाते हैं.
इस मंत्र का करें जाप
शिव मंत्र ‘ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः’ का 108 बार जाप करें.
सभी भक्तों को मिल जाती है सभी कष्टों और दुखों से मुक्ति
प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव के सभी भक्तों को सभी कष्टों और दुखों से मुक्ति मिल जाती है. पौराणिक मान्यता है कि प्रदोष काल में ही भगवान शिव कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं.
प्रदोष व्रत करने का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भक्त भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा की जाती है. इस दिन शिवजी की पूजा करते समय शिव पुराण और मंत्रों का जाप किया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहले चंद्रदेव ने प्रदोष व्रत किया. पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रदेव को श्राप था और उसी के चलते उन्हें क्षय रोग हो गया था. उन्होंने प्रदोष व्रत किया था और इसकी कृपा से वो श्राप मुक्त हो गए थे.
मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति प्रदोष व्रत करता है उस पर हमेशा भगवान शिव की कृपा बनी रहती है. इस व्रत को करने से व्यक्ति के दुख और दरिद्रता दूर हो जाती है. गौरतलब है कि साल 2021 में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ेंगे, इनमें 4 शनि प्रदोष व्रत, 5 भौम प्रदोष व्रत और 3 सोम प्रदोष व्रत होंगे.
डिसक्लेमर
इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता की गारंटी नहीं है. अलग-अलग माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं.
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