Allahabad High Court News : मौलाना हो या पादरी... कोई भी मनमर्जी से धर्मांतरण नहीं करा सकता- इलाहाबाद हाईकोर्ट
Allahabad High Court News : हिंदू युवती का निकाह कराने वाले मौलाना को इलाहाबाद हाई कोर्ट से झटका लगा है. हाई कोर्ट ने मौलाना को जमानत देने से इंकार कर दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि मौलाना, पादरी या फिर कर्मकांडी किसी को भी अवैध तरीके से धर्मांतरण की इजाजत नहीं है. आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है?
Allahabad High Court News : (प्रयागराज/मोहम्मद गुफरान) : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू युवती का निकाह कराने वाले मौलाना को तगड़ा झटका दिया है. साथ ही कोर्ट ने धर्मांतरण को लेकर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए बड़ी टिप्पणी की है. हाई कोर्ट ने कहा कि मौलाना, पादरी या फिर कर्मकांडी किसी को भी अवैध तरीके से धर्मांतरण की इजाजत नहीं है. इसके साथ ही कड़ी टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि जबरदस्ती, प्रलोभन और धोखाधड़ी करके धर्म परिवर्तन कराने वाला धर्मांतरण विरोधी अधिनियम के तहत जिम्मेदार होगा. मौलाना मोहम्मद शाने आलम को हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है. जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने मौलाना की जमानत याचिका खारिज कर दी.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, मौलान पर एक हिंदू युवती को जबरन इस्लाम में परिवर्तित करने और एक मुस्लिम शख्स के साथ उसका निकाह कराने का आरोप है. इस मामले में गाजियाबाद के अंकुर विहार थाने में मौलाना मोहम्मद शाने आलम के खिलाफ मुकदमा दर्ज है. अपने बयान में पीड़िता ने कहा है कि उसे इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए दबाव बनाया गया. हालांकि, जेल में बंद मौलाना ने खुद को निर्दोष बताते हुए हाईकोर्ट से जमानत की गुहार लगाई थी.
वकील ने क्या कहा?
मामले की सुनवाई के दौरान वकील ने कहा कि आरोपी का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. वह 2 जून से जेल में बंद है. 11 मार्च को हुए निकाहनामा पर मोहर और उसके सिर्फ हस्ताक्षर हैं और इसके अलावा उसकी कोई भूमिका नहीं है. वहीं, याची की जमानत याचिका का विरोध करते हुए सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि पीड़िता जो खुद सूचना देने वाली है, उसे सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अपदस्थ किया गया. आरोपी ने उसका शारीरिक शोषण किया और उसे इस्लाम स्वीकार करने के लिए मजबूर किया.
हाई कोर्ट ने क्या कहा?
इस मामले में हाई कोर्ट ने कहा कि मौलाना ने आरोपी अमन के साथ युवती का गैर कानूनी तरीके से निकाह कराया. उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 का सीधे तौर पर पालन नहीं किया गया. इसमें धर्मांतरण से पहले डीएम से घोषणा पत्र प्राप्त नहीं किया गया है. ऐसा करना धर्म परिवर्तन 2021 के अधिनियम की धारा 5 के तहत दंडनीय है. हाईकोर्ट ने कहा कि धर्म परिवर्तन अधिनियम 2021 की धारा 3 गलत बयानी, बल, धोखाधड़ी, अनुचित प्रलोभन द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन पर रोक लगाती है.
मौलाना को हाईकोर्ट से झटका
कड़ी टिप्पणी करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि भारत का संविधान सभी व्यक्तियों को अपने धर्म को मानने, उसका पालन और प्रचार करने का मौलिक अधिकार देता है. संविधान के अनुसार राज्य का कोई धर्म नहीं है. राज्य के समक्ष सभी धर्म समान हैं. किसी को भी किसी व्यक्ति का जबरन या प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना अनैतिक ही नहीं गैर कानूनी है. ये टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने मौलाना मोहम्मद शाने आलम की जमानत खारिज कर दी.
पहले भी जाहिर कर चुके हैं चिंता
ये पहली बार नहीं है जब जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने धर्मांतरण से जुड़े कई मामलों में सुनवाई करते हुए अपनी चिंता व्यक्त की. इससे पहले भी चिंता जाहिर करते हुए जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने कहा था कि धार्मिक स्वतंत्रता में धर्मांतरण का सामूहिक अधिकार शामिल नहीं है. संविधान सभी को अपने धर्म को मानने, उसका पालन करने और उसका प्रचार करने का अधिकार देता है, लेकिन यह व्यक्तिगत अधिकार धर्म परिवर्तन कराने के सामूहिक अधिकार में तब्दील नहीं होता.
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