Kargil News/कौशांबी: कारगिल युद्ध में शहीद हुए सूरज प्रसाद मिश्र का शहीद स्थल बदहाली का शिकार पाकिस्तान से हुए करगिल युद्ध में जो भी जवान शहीद हुए उनको याद करते हुए हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस मनाया जाता है. कारगिल युद्ध में शहीद हुए कौशांबी के सूरज प्रसाद मिश्र का शहीद स्मारक आज पूरी तरह से बदहाली की स्थिति में है. 


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बदहाल पड़े स्मारक स्थल की मरम्मत नहीं
पाकिस्तान से हुए करगिल युद्ध में जो भी जवान शहीद हुए उनको याद करते हुए हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस मनाया जाता है. कारगिल युद्ध में शहीद हुए कौशांबी के सूरज प्रसाद मिश्र का शहीद स्मारक आज पूरी तरह से बदहाली की स्थिति में है. अधिकारी शहीद स्मारक स्थल पर कारगिल दिवस पर जाते हैं, फूल-माला भी अर्पित करते हैं पर बदहाल पड़े स्मारक स्थल की मरम्मत नहीं करते हैं. गांव की कई गालियां भी इसी तरह से बदहाली की स्थिति में हैं. एक ओर तो अधिकारियों की उदासीनता है तो दूसरी ओर पिता के शहीद होने के बाद भी पूरे परिवार के सदस्यों का जज्बा किसी भी तरह से कम नहीं हुआ है. शहीद होने के बाद घर का बेटा सेना में सेवाएं दे रहा है.


शहीद सूरज प्रसाद मिश्र 
सिराथू तहसील के तेरहरा गांव के निवासी सूरज प्रसाद मिश्र कारगिल युद्ध मे शहीद हुए थे. तब जम्मू से राजौरी जाते वक्त ही बम ब्लास्ट में सूरज देश के लिए शहीद हो गए. शहीद की पत्नी जावित्री देवी को अनेक दुख झेलने पड़े. अपने एकलौते बेटे को देश की सेवा के लिए फिर भी मां ने तैयार किया जोकि पिता के शहीद होने तक बेटा रवि केवल  चार साल का था. रवि अप्रैल 2016 में फौज में भर्ती हुआ और अब तक कार्यरत है. 


शिक्षामित्र की नौकरी
शहीद की पत्नी जावित्री देवी ने इंटरमीडिएट तक पढ़ाई की है और उनकी शिक्षा के आधार पर जिला प्रशासन ने गांव के विद्यालय में नवंबर 2001 में उन्हें शिक्षामित्र की नौकरी दी।. वह गांव के स्कूल में बच्चों पढ़ा रही हैं. बेटे को बीएससी तक की पढ़ाई करवाई. शहीद का बेटा मां की प्रेरणा पर आज देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर तैनात है. 


जावित्री देवी की आंखों में आंसू
शहीदों के गांव में सुख सुविधा दिए जाने के दावे के उलट कारगिल शहीद सूरज प्रसाद मिश्र के गांव की तस्वीर में कोई बदलाव नहीं आया. अधिकारियों की उदासीनता का शिकार इस गांव की क्या स्थिति है इस बारे में आप आसानी से जान सकते हैं क्योंकि जिस शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए गांव के बड़े अफसर पहुंचे वहां पर उस शहीद का स्मारक स्थल ही आज बदहाली की स्थिति में है. जावित्री देवी बताती हैं कि पति के शहीद होने पर गांव में पूरे जिले के अधिकारी आए थे और गांव की हालत सुधारने के दावे किए लेकिन शहीद स्थल आज भी बेजान सा पड़ा है. यह कहते कहते जावित्री देवी की आंखों में आंसू आ जाते हैं.


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