जूना अखाड़े ने बनाया पहला दलित जगद्गुरु, जानिए कौन हैं महेंद्रानंद गिरी
Mahendranand Giri, Juna Akhada first SC Jagadguru: जूना अखाड़े ने अनुसूचित जाति से आने वाले महेंद्रानंद गिरि को जगद्गुरु बनाया है. मौज गिरी आश्रम में विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महेंद्रानंद गिरी को पदासीन किया गया. महेंद्रानंद गिरी अनुसूचित जाति से आने वाले पहले जगद्गुरु बन गए हैं.
Prayagraj News (मोहम्मद गुफरान): देश के सबसे बड़े जूना अखाड़े ने सराहनीय पहल की है. जूना अखाड़े ने अनुसूचित जाति से आने वाले महेंद्रानंद गिरि को जगद्गुरु बनाया है. सनातन धर्म की देश के कोने कोने में अलख जगाने के लिए जगद्गुरु बनाया गया है. जूना अखाड़े ने ही महेंद्रानंद गिरी को पहली बार महामंडलेश्वर बनाया था. अब महेंद्रानंद गिरी अनुसूचित जाति से आने वाले पहले जगद्गुरु बन गए हैं. मौज गिरी आश्रम में विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महेंद्रानंद गिरी को पदासीन किया गया. महेंद्रानंद गिरी के साथ देश भर में 700 से अधिक पिछड़ी और आदिवासी समाज के सन्यासी हैं.
स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि महेंद्रानंद गिरी काफी समय से धर्म और अध्यात्म की अलख समाज के हर वर्ग में जगाने का काम कर रहें हैं. आज समय को देखते हुए साधु संतों के लिहाज से देश के सबसे बड़े अखाड़े ने अनुसूचित जाति से आने वाले महामंडलेश्वर महेंद्रानंद गिरी को जगद्गुरु की उपाधि देकर एक नई पहल की है, ताकि समाज के उपेक्षित तबके से लोग भी सनातम धर्म की रक्षा के लिए आगे आ सके.
आज देश के तमाम हिस्सों में कमजोर और गरीब वर्ग खासकर अनुसूचित वर्ग को टारगेट करके उनका धर्मांतरण कराया जा रहा है. महेंद्रानंद गिरी के जगद्गुरु बनने से धर्मांतरण तो रुकेगा ही, साथ ही सनातन धर्म का प्रभाव और वैभव भी दुनियां में बढ़ेगा. स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती और जूना अखाड़े के संरक्षक हरी गिरी महराज ने महेंद्रानंद गिरी को सिंहासन पर आसीन करके जगद्गुरु की छत्र चंवर भेंट किया. जिसके बाद सभी संत महात्माओं ने उन्हे माला पहनाया.
वहीं जगद्गुरु की उपाधि मिलने के बाद स्वामी महेंद्रानंद गिरी ने कहा कि वह बचपन से ही संतों के बीच रहकर सनातन धर्म के उत्थान के लिए कार्य कर रहें हैं. जब वह सन्यास के जीवन में प्रवेश किए तो धर्म अध्यात्म के साथ ही अखाड़े की परंपरा को ईमानदारी से निभाया है. मौजूदा समय में उनके पास 700 सौ से अधिक संन्यासी हैं. जिसमें पिछड़ी जाति, अनुसूचित जनजाति और आदिवासी समाज से बडी संख्या में संन्यासी हैं. महेंद्रानंद गिरी ने कहा कि उनका लक्ष्य सिर्फ यही है कि कैसे हिंदू धर्म का कल्याण और उत्थान हो. इसके लिए वह हर प्रयत्न करते रहते हैं.