Amritpal Singh and Khalistan: खालिस्तानी अलगाववादी अमृतपाल सिंह जेल से बाहर आने के लिए छटपटा रहा है. वह पंजाब की खडूर साहिब सीट से चुनाव जीत चुका है और अब अपनी रिहाई के लिए कोर्ट से गुहार लगाने जा रहा है.
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Who is Amritpal Singh: असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद कट्टरपंथी सिख उपदेशक अमृतपाल सिंह अब अपनी रिहाई के लिए छटपटा रहा है. वह इस बार लोकतांत्रिक प्रक्रिया का फायदा उठाकर पंजाब की खडूर लोकसभा सीट से चुनाव जीत गया है. उसने सांसद की शपथ लेने को आधार बनाकर कोर्ट में अर्जी लगाने का फैसला किया है. सूत्रों के मुताबिक अमृतपाल सिंह पंजाब सरकार को पत्र लिखकर लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए असम की जेल से अस्थाई जमानत देने की गुहार लगाएगा.
खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के वकील ईमान सिंह खारा ने रविवार को बताया, ‘एक या दो दिन में वह राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) की धारा 15 के तहत अस्थायी रिहाई के लिए पत्र लिखेंगे, जो नजरबंदी से अस्थायी रिहाई से संबंधित है.’
खालिस्तान समर्थक दीप सिद्धू के संगठन पर जमाया कब्जा
बता दें कि कनाडा से लौटे अमृतपाल सिंह ने पंजाब के खालिस्तानी समर्थक दीप सिद्धू की एक्सिडेंट में मौत के बाद उसके संगठन 'वारिस पंजाब दे' पर कब्जा कर लिया था. खालिस्तानी आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले की तर्ज पर वेषभूषा धारण कर उसने पंजाब के सिखों को देश के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया. इसके चलते पंजाब में हिंसा का ग्राफ अचानक बढ़ गया. जिसके बाद उसके और उसके समर्थकों के खिलाफ केस दर्ज कर धरपकड़ शुरू की गई. फिलहाल अमृतपाल सिंह रासुका के तहत अपने 9 सहयोगियों के साथ असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है.
जेल में रहते हुए खडूर साहिब सीट से जीता चुनाव
जेल में रहते हुए अमृतपाल सिंह ने पंजाब की खडूर साहिब सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा. इस इलेक्शन में उसने कांग्रेस उम्मीदवार कुलबीर सिंह जीरा को परास्त कर दिया. उसके समर्थन में खालिस्तानी समर्थकों ने गांव-गांव में अभियान चलाया, जिसके चलते उसे 1 लाख 97 हजार 120 मतों के अंतर से जीत हासिल हुई. उसे चुनाव में 4 लाख 4 हजार 430 और जीरा को 2 लाख 7 हजार 310 वोट मिले.
अमृतपाल की जीत से खालिस्तानियों के हौंसले बुलंद
अमृतपाल की जीत के बाद से उसके मां-बाप समेत खालिस्तान समर्थकों के हौंसले बुलंद हैं. उन्हें उम्मीद है कि इस चुनाव में जीत की वजह से अमृतपाल अब जेल से बाहर आ जाएगा और पहले की तरह पंजाब में फिर अलगाववादी गतिविधियों को तेज कर सकेगा. उससे मिलने के लिए पिता तरसेम सिंह और माता बलविंदर कौर शनिवार को असम पहुंचे. उन्होंने बेटे को जीत की मुबारकबाद दी और भरोसा दिलाया कि अब वह जल्दी ही जेल से बाहर आने वाला है.
(इनपुट भाषा के साथ)