परिवर्तन कुंभ के समापन पर बोले राजनाथ सिंह,"धर्म परिवर्तन के खिलाफ उम्मीद है एकल अभियान"
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परिवर्तन कुंभ के समापन पर बोले राजनाथ सिंह,"धर्म परिवर्तन के खिलाफ उम्मीद है एकल अभियान"

1989 में वनवासी इलाके में एक शिक्षक से शुरू हुआ था 'एकल अभियान'. अब एकल विद्यालयों की संख्या सवा लाख से अधिक हो चुकी है लेकिन ये अभियान लालच और धमका कर होने वाले धर्म परिवर्तन के खिलाफ कैसे बना मशाल? लखनऊ में 'एकल अभियान' के तीन दिवसीय कार्यक्रम के समापन पर यही बताया गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने. 

लखनऊ में एकल अभियान के समापन

ज़ी मीडिया ब्यूरो/लखनऊ: गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लालच और डरा धमका कर कराए जा रहे धर्म परिवर्तन को देश के लिए बड़ी चुनौती बताया. इसके साथ ही उन्होंने ये भी यकीन जताया कि 'एकल अभियान' जैसे 

कार्यक्रम ही देश को धर्म परिवर्तन जैसे "महापाप" से मुक्ति दिला सकते हैं. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने 'एकल अभियान' के 'परिवर्तन कुंभ' के समापन के अवसर पर ये भरोसा जताया. लखनऊ के डॉ राम मनोहर लोहिया 

राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के डॉक्टर भीमराव आंबेडकर सभागार में 'एकल अभियान' के तीन दिवसीय कार्यक्रम का समापन हुआ जिसे 'परिवर्तन कुंभ' नाम दिया गया था. 'परिवर्तन कुंभ' में देश-विदेश से आए लाखों 

'स्वराज सेनानियों' ने हिस्सा लिया और देश के दूरदराज और वनवासी इलाकों में चलाए जा रहे 'एकल अभियान' की स्थिति पर मंथन किया. 

इस तीन दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत 16 फरवरी को लखनऊ के रमाबाई आंबेडकर मैदान से हुई जिसमें साध्वी ऋतांभरा भी शामिल हुईं, देश-विदेश से आए लाखों स्वराज सेनानियों ने इसमें हिस्सा लिया. दूसरे दिन डॉ 

राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के डॉक्टर भीमराव आंबेडकर सभागार में 'परिवर्तन कुंभ' का विधिवत उद्घाटन उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया.

सह सरकार्यवाह ने की तारीफ

समापन कार्यक्रम में RSS के सह सरकार्यवाह गोपाल कृष्ण गोयल भी शामिल हुए जिन्होंने देश के वनवासी क्षेत्रों में कृषि और चाय बगानों से जुड़े लोगों के आत्मनिर्भर बनने में 'एकल अभियान' के योगदान की खासतौर 

से तारीफ की. RSS के सह सरकार्यवाह गोपाल कृष्ण गोयल ने कहा, "एकल योजना में जुड़े लोगों ने कृषि के कार्य में विशेष परिवर्तन किया, एकल योजना के जरिये लोगों की आर्थिक स्थिति संभल गई, चाय बागानों को 

खाद बेचकर लोग स्वावलंबी बन गए".

क्या है 'एकल अभियान'?
'राष्ट्र निर्माण' के मकसद से 1989 में एकल अभियान की शुरुआत हुई थी जिसके तहत देश के दूरदराज के वनवासी इलाकों में 'एकल विद्यालय' खोले गए. ऐसे इलाकों के वंचित वर्ग के बच्चे भी शिक्षा पा सकें इसलिए 

एक शिक्षक के माध्यम से सभी विषयों की शिक्षा देने की ये अनूठी पहल है. पहले एकल विद्यालय की शुरुआत झारखंड में की गई जिनकी संख्या अब 1 लाख 21 हजार तक पहुंच चुकी है. ये अभियान 27 राज्यों के 360 

जिलों तक पहुंच चुका है. उत्तर प्रदेश में एकल विद्यालयों की संख्या करीब 22 हजार तक हो चुकी है. इन एकल विद्यालयों के जरिए चार लाख गांवों में परिवर्तन, समाज सुधार और विकास की योजनाएं चलाई जा रही हैं. 

आदिवासी इलाकों में धर्म परिवर्तन की चुनौती  
आदिवासियों की आबादी वाले ये वही इलाके हैं, जहां धर्म परिवर्तन के मामले सबसे ज्यादा सामने आते हैं. ऐसे ही इलाकों में 'एकल अभियान' काम कर रहा है. लिहाजा गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी इसका जिक्र किया और 

कहा, "आप केवल ज्ञान देने का काम नही कर रहे संस्कार देने का काम भी कर रहे हैं, आप जहां काम कर रहे हैं वहां धर्मपरिवर्तन बड़ी चुनौती है. अगर कोई प्रलोभन या भय से धर्म परिवर्तन कराता है तो महापाप कर 

रहा है. इस समस्या से अगर कोई मुक्ति दिला सकता है तो आप दिला सकते हैं".

तीन दिवसीय 'परिवर्तन कुंभ' संपन्न 
राजनाथ सिंह ने 'एकल अभियान' से जुड़े लोगों की खासतौर से तारीफ की और ये राज भी खोला कि अपने व्यस्त कार्यक्रम में भी वो 'एकल अभियान' के 'परिवर्तन कुंभ' में शामिल होने के लिए फौरन क्यों राजी हो गए. 

उन्होंने कहा, "जब श्री लक्ष्मी नारायण गोयल जी ने मुझे इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया मैं व्यस्त था लेकिन एकल अभियान के कुंभ का नाम सुनकर क्षण भर भी देर नही लगाई और आने की सहमति प्रदान की". 

लक्ष्मी नारायण गोयल 'एकल अभियान ट्रस्ट बोर्ड' के ट्रस्टी हैं जिन्होंने अपने साथियों के साथ मिल कर इस कार्यक्रम का सफल आयोजन किया. 

 

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