Akhurath Sankashti Chaturthi 2023: जानिए कब है साल की आखिरी संकष्टी चतुर्थी, गणपति जी को प्रसन्न करने के लिए जरूर करें ये काम
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Akhurath Sankashti Chaturthi 2023: जानिए कब है साल की आखिरी संकष्टी चतुर्थी, गणपति जी को प्रसन्न करने के लिए जरूर करें ये काम

Akhurath Sankashti Chaturthi 2023: पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से और गणेशजी की विधि-विधान से पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 

Akhurath Sankashti Chaturthi 2023: जानिए कब है साल की आखिरी संकष्टी चतुर्थी, गणपति जी को प्रसन्न करने के लिए जरूर करें ये काम

Akhurath Sankashti Chaturthi 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से और गणेशजी की विधि-विधान से पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.  आइए जानते हैं  साल की अंतिम संकष्टी चतुर्थी कब है, और इससे जुड़े नियमों के बारे में. 

कब है अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 
हिंदू पंचांग के अनुसार अखुरथ संकष्टी चतुर्थी तिथि 30 दिसंबर को सुबह 9 बजकर 43 मिनट पर शुरू हो रही है, जो 31 दिसंबर सुबह 11 बजकर 55 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार यह 30 दिसंबर को होगी. 

श्री गणेश प्रिय मंत्र
1.वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ: ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ।।
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं ।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ।।

2. विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं ।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ।।

3.पार्वतीनन्दनं शम्भोरानन्दपरिवर्धनम् ।
भक्तानन्दकरं नित्यं मयूरेशं नमाम्यहम् ।।

4.सर्वाज्ञाननिहन्तारं सर्वज्ञानकरं शुचिम् ।
सत्यज्ञानमयं सत्यं मयूरेशं नमाम्यहम् ।।

श्री गणेश स्तुति
वन्दौं श्री गणपति पद, विघ्नविनाशन हार। पवित्रता की शक्ति जो, सब जग मूलाधार ।।
हे परम ज्ञान दाता, सकल विश्व आधार। क्षमा करें वर दें, विघ्नों से करें उबार ।।
है जग वंदन, हे जगनायक! हे गौरीनंदन! हे वरदायक ।।
हे विघ्नविनाशन! हे गणनायक! हे भवभय मोचन! हे जन सुखदायक! ।।
दया करो हे प्रभु! दे सबको निर्मल ज्ञान। हे सहज संत! दें हम को यह वरदान ।।
मंगलमय हो गीत हमारे करें जनकल्याण। मातृप्रेम में निरत रहें पावें पद निर्वाण ।।

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