Shanata Temple in Shringinari: राजा दशरथ के चार पुत्र थे, ये तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी एक पुत्री भी थी. जी हां, भगवान श्रीराम की बहन शांता के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं. उनका जिक्र पौराणिक कथाओं में भी मिलता है. यूपी में उनका एक मंदिर भी है. मां शांता की तपोस्थली बस्ती जनपद के परशुरामपुर ब्लॉक के श्रृंगीनारी में स्थित है, जहां उनकी प्रतिमा ऋषि श्रृंगी के साथ स्थापित है. ऋषि श्रृंगी,  जिन्हें ऋषि विभण्डक का पुत्र माना जाता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, राजा दशरथ की संतान की कामना के लिए पुत्र कामेष्टि यज्ञ का आयोजन ऋषि श्रृंगी ने किया था. यह यज्ञ अयोध्या से लगभग 39 किमी पूर्व स्थित मखौड़ा धाम में हुआ था.


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श्रृंगी ऋषि से मां शांता का विवाह
पौराणिक कथाओं की मानें तो जब राजा दशरथ ने यज्ञ के लिए श्रृंगी ऋषि से आग्रह किया तब ऋषि ने मखौड़ा धाम पर यज्ञ करने का फैसला किया, लेकिन अविवाहित ऋषि से यह यज्ञ अपूर्ण हो जाता. इसीलिए राजा दशरथ ने अपनी बेटी शांता का विवाह श्रृंगी ऋषि से कर दिया. विवाह के  बाद पुत्रेष्ठ यज्ञ संपन्न हुआ. उसके बाद माता शांता और श्रृंगी ऋषि कुछ दिन मखौड़ा धाम में बिताया.


पिण्डी के रूप में समा गईं मां शांता
मान्यता है कि त्रेतायुग में मखौड़ा धाम में पुत्रेष्टि यज्ञ का समापन हुआ था, जिसके बाद श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुध्न का जन्म हुआ. इस यज्ञ के दौरान 45 दिनों तक मां शांता ने शक्ति की आराधना की थी. यज्ञ के बाद ऋषि श्रृंग ने शांता को अपने साथ ले जाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं गईं और मौजूदा मंदिर में पिण्डी के रूप में समा गईं. आषाढ़ महीने के अंतिम मंगलवार को श्रृंगी नारी में बुढ़वा मंगल का मेला लगता है. इस दिन माताजी को पूड़ी और हलवा का भोग अर्पित किया जाता है. 


लगता है भक्तों का जमावड़ा
जिस श्रृंगीनारी धाम को श्रृंगी ऋषि ने बनाया था वहां हर दिन हजारों भक्तों की भीड़ जुटती है. मान्यता है जिसकी शादी नहीं हो रही हो या फिर जिसको पुत्र की प्राप्ति नहीं हो रही हो, वो अगर यहां विधि विधान से पूजा करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. इन्हीं मान्यताओं की वजह से स्थानीय लोगों के साथ ही यूपी के सभी जिलों से भक्त बड़ी संख्या में यहां आते हैं. इतना ही नहीं बिहार, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान समेत अन्य राज्यों से भी दर्शन के लिए भक्त यहां आते हैं.


Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.


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