Chhath Puja Vrat Paran Vidhi: चौथा दिन छठ पर्व का अंतिम दिन होता है. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इस महाव्रत का पारण किया जाता है...चौथे दिन सूर्य देव को जल देकर छठ पर्व का समापन किया जाता है.
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Chhath Puja Vrat Paran Vidhi: छठ पूजा में उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य के बाद ही 4 दिवसीय महापर्व का समापान होता है. आस्था के इस पर्व में विशेष रूप से सूर्यदेव और षष्ठी माता की पूजा की जाती है. इस पर्व में डूबते और उगते सूर्य दोनों को अर्घ्य दिया जाता है. जो इस बात का प्रतीक है कि जो डूबा हुआ है.
ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा का व्रत रखने से व्यक्ति को सुख-शांति और समृद्धि मिलती है, लेकिन छठ का पारण भी बेहद महत्वपूर्ण होता है.छठ का ठीक से पारण किए बिना व्यक्ति कोफल नहीं मिलता. आइए इस लेख में जानते हैं कि व्रत का पारण किस विधि से करना शुभ माना जाता है.
छठ पूजा का चौथा दिन-उगते सूर्य को अर्घ्य
पारण 20 नवंबर, दिन सोमवार
उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय
20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दिन सूर्योदय 06 बजकर 47 मिनट पर होगा.
कैसे करें छठ का पारण?
सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद घाट पर स्नान जरूर करना चाहिए. बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें. फिर उसके बाद छठी मां को अर्पित किए प्रसाद को सभी में बांटें.
पीपल के पेड़ की पूजा
धार्मिक मान्याओं के अनुसार सूर्य की उपासना करने के बाद कई लोग घर लौटकर पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं. छठ पूजा का व्रत खोलने से पहले पूजा में चढ़ाए गए प्रसाद को ग्रहण करें. इस दिन आप चाय पीकर भी व्रत का पारण कर सकते हैं. इसके बाद की व्रत पूरा माना जाता है. इस बात का ध्यान रखना इस दिन पारण के समय कभी भी मसालेदार भोजन नहीं करें, इससे आपके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है.
क्या है छठ व्रत का इतिहास (Chhath Puja History)
ऋग्वेद में भी छठ व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि पांडवों ने चौसर में धन-संपत्ति, और अपना सारा राज-पाठ खो दिय़ा थे. खोए हुए राज्य को पुन: पाने के लिए द्रोपदी ने छठ का व्रत किया था. इस व्रत को करने के बाद उनकी समस्त मनोकामना पूरी हुई. वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि कुंती ने पुत्र के लिए सूर्य देव (सूर्यदेव मंत्र) का आव्हान किया था. और तभी कुंती की पूजा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने उनकी मनोकामना पूरी की. सूर्य के तेज से कुंती ने गर्भ धारण किया और कर्ण को जन्म दिया. ऐसा भी कहा जाता है कि कुंती पुत्र कर्ण रोजाना पानी में खड़े होकर सूर्य की उपासना करते थे जिससे उन्हें सूरज के समान तेज और बल मिला.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य को प्रसन्न करने के लिए कर्ण ने भी छठ का व्रत नियम के अनुसार किया था..
निर्जला रखा जाता है छठ का व्रत
ये व्रत बेहद कठिन माना जाता है. इस व्रत में उपवास रखने वाली महिला को 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करती हैं. बिहार, झारखंड और यूपी के कुछ इलाकों में छठ पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. यह व्रत संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए किया जाता है. व्रत के तीसरे दिन सूर्य को अर्घ्य देना होता है.हम आपको अलग-अलग शहरों की संध्या अर्घ्य टाइमिंग के बारे में बताएंगे.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.
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