Chhath Puja 2023: छठ में व्रती महिलाएं क्यों लगाती हैं मांग से नाक तक सिंदूर, जानें इसका पौराणिक महत्व
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Chhath Puja 2023: छठ में व्रती महिलाएं क्यों लगाती हैं मांग से नाक तक सिंदूर, जानें इसका पौराणिक महत्व

Chhath Puja 2023 Sindor Tradition: छठ पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन नाक तक सिंदूर लगाने की परंपरा है. आइए जानते हैं छठ पूजा में नारंगी सिंदूर लगाने के पीछे क्या वजह है. 

Chhath Puja 2023: छठ में व्रती महिलाएं क्यों लगाती हैं मांग से नाक तक सिंदूर, जानें इसका पौराणिक महत्व

Chhath Puja Sindor Tradition: दिवाली का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया गया. इस त्योहार के बाद अब पूरे उत्तर भारत में छठ पूजा की धूम नजर आ रही है. छठ महापर्व आस्था का महापर्व  है.  छठ व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. इस दिन उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है.  इस दिन महिलाएं अपनी संतान और सुहाग की लंबी उम्र के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. ये पर्व खासतौर से मुख्य रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में मनाया जाता है. इस पर्व का समापन उगते सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत पारण किया जाता है. इस दिन महिलाएं नाक से मांग तक सिंदूर भरती हैं और नारंगी रंग का सिंदूर लगाया जाता है. आप ये जानना तो चाहते होंगे की छठ पर्व पर सुहागन महिलाएं अपनी नाक से लेकर मांग तक सिंदूर क्यों लगाती है?  इसके पीछे कई धार्मिक मान्यताएं हैं.

छठ महापर्व 2023 Chhath Mahaparva 2023
आगाज-17 नवंबर
समापन में 20 नवंबर  

क्यों लगाते हैं नाक तक सिंदूर
हिंदू धर्म में महिलाओं के 16 ऋंगार में से सिंदूर भी अपनी खास जगह रखता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिलाओं का नाक से मांग तक सिंदूर लगाने के पीछे एक कारण है. ऐसी मान्यता है कि सुहागन औरतें अपने पति की लंबी आयु के लिए ऐसे सिंदूर लगाती है. सिंदूर को सुहाग की निशानी माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि ये सिंदूर जितना लंबा होता है, पति की उम्र भी उतनी ही लंबी होती है. सिंदूर पति की आयु के साथ-साथ परिवार में सुख-समृद्धि लाता है. महिलाएं छठ पर सूर्य देव की पूजा और छठी मैया  परिवार में सुख-संपन्नता की प्रार्थना करते हुए व्रत को पूरा करती हैं.

इसलिए लगाया जाता है नारंगी सिंदूर (Narangi Sindoor)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार छठ पर्व पर महिलाएं नारंगी रंग का सिंदूर मांग में भरती हैं. कहते हैं कि इस दिन नारंगी सिंदूर भरने से पति की लंबी आयु के साथ व्यापार में भी बरकत होती है. उनको हर राह में सफलता मिलती है .इतना ही नहीं, वैवाहित जीवन खुशमय होता है. इतना ही नहीं, नारंगी रंग हनुमान जी का शुभ रंग है. 

कौन सा सिंदूर होता है इस्तेमाल 
छठ पूजा में 3 तरह के सिंदूर का इस्तेमाल होता है.
पहला -सुर्ख लाल
दूसरा-सिंदूर पीला या नारंगी
तीसरा-सिंदूर मटिया सिंदूर .

बिहार में विशेष परंपरा
मटिया सिंदूर का उपयोग हिंदू धर्म के मान्यताओं के अनुसार खास रूप से बिहार में किया जाता है. मटिया सिंदूर को सबसे शुद्ध माना जाता है.  यह सिंदूर एकदम मिट्टी की क्वालिटी का होता है. इसलिए इस सिंदूर को मटिया सिंदूर कहा जाता है. पूजा में चढ़ाने के लिए खासतौर पर छठ पूजा के दौरान इस सिंदूर का प्रयोग किया जाता है.

छठ पूजा की कथा
पुराणों के अनुसारमहाभारत काल के दौरान पांडवों के राजपाट जुए में हारने पर द्रौपदी ने छठ का व्रत रखा था. द्रौपदी के व्रत से प्रसन्न होकर षष्ठी देवी ने पांडवों को उनका राजपाट वापस दिलाया था. ऐसा कहा जाता है कि तभी से ही घरों में सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए छठ का व्रत रखा जा रहा है. पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत काल में सूर्य पुत्र कर्ण ने ही सबसे पहले सूर्य देव की पूजा की थी. और घंटों पानी में खड़े रहकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं. 

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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