Gayatri Mata Ki Aarti: गायत्री जयंती पर अगर माता गायत्री की विशेष आरती करें तो लाभ ही लाभ होगा. माता गायत्री ज्ञान के रूप में प्रकट हुई ऐसे में गायत्री जयंती बहुत ही शुभ अवसर होता है जब हम मां की पूरी मन से आराधना कर सकें.
Trending Photos
Sri Gayatri Mata ki Aarti: गायत्री जयंती हिंदु धर्म में एक बहुत महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है. अगर इस दिन देवी गायत्री की पूरे मन से आराधना पूजा करें तो माता हमेशा कृपा करेंगी. देवी गायत्री को सभी वेदों की माता के रूप में पूजा जाता है. वेद माता के नाम से भी माता गायत्री को जाना जाता है. माना जाता है कि गायत्री जयंती के दिन ही देवी गायत्री ज्ञान के रूप में प्रकट हुई. इस तरह इस दिन मां की आराधना करने से कभी न समाप्त होने वाले ज्ञान की प्राप्ति होती है. जीवन कल्याण की ओर अग्रसर होता रहता है.
(गायत्री प्रकटोत्सव 2024) इस साल गायत्री जयंती (Gayatri Jayanti 2024) 17 जून को है. वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को यह पर्व हर मनाया जाता है. माता को प्रसन्न करने के लिए इस दिन पूरे विधि विधान से पूजा कर सकते हैं और पूजा को एक विशेष आरती से समापन कर सकते हैं. आइए इस आरती को जानें.
और पढ़ें- Sawan 2024 Date: 2 रुपये के खर्च में होंगे ये 11 उपाय, करते ही महादेव प्रसन्न होकर करेंगे विशेष कृपा
।।गायत्री माता की आरती।।
जयति जय गायत्री माता,
जयति जय गायत्री माता ।
सत् मारग पर हमें चलाओ,
जो है सुखदाता ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जगपालक कर्त्री ।
दु:ख शोक, भय, क्लेश कलश दारिद्र दैन्य हत्री ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
ब्रह्म रूपिणी, प्रणात पालिन जगत धातृ अम्बे ।
भव भयहारी, जन-हितकारी, सुखदा जगदम्बे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
भय हारिणी, भवतारिणी, अनघेअज आनन्द राशि ।
अविकारी, अखहरी, अविचलित, अमले, अविनाशी ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
कामधेनु सतचित आनन्द जय गंगा गीता ।
सविता की शाश्वती, शक्ति तुम सावित्री सीता ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
ऋग, यजु साम, अथर्व प्रणयनी, प्रणव महामहिमे ।
कुण्डलिनी सहस्त्र सुषुमन शोभा गुण गरिमे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
स्वाहा, स्वधा, शची ब्रह्माणी राधा रुद्राणी ।
जय सतरूपा, वाणी, विद्या, कमला कल्याणी ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
जननी हम हैं दीन-हीन, दु:ख-दरिद्र के घेरे ।
यदपि कुटिल, कपटी कपूत तउ बालक हैं तेरे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
स्नेहसनी करुणामय माता चरण शरण दीजै ।
विलख रहे हम शिशु सुत तेरे दया दृष्टि कीजै ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव द्वेष हरिये ।
शुद्ध बुद्धि निष्पाप हृदय मन को पवित्र करिये ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
जयति जय गायत्री माता,
जयति जय गायत्री माता ।
सत् मारग पर हमें चलाओ,
जो है सुखदाता ॥