Guruwar ke Upay: आज 7 अगस्त दिन गुरुवार है. आज मथुरा, वृंदावन समेत कई जगहों पर जन्माष्टमी मनाई जाएगी. ऐसे में आज का दिन बेहद खास है. गुरुवार के दिन कुछ उपाय कर आप श्रीहरि को प्रसन्न कर सकते हैं.
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Guruwar ke Upay: आज 7 सितंबर है भाद्रपद कृष्ण पक्ष की उदया तिथि अष्टमी और गुरुवार का दिन है. हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और गुरु को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस दिन विष्णु जी की पूजा करने और व्रत रखने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. ऐसे में गुरुवार के दिन कुछ उपाय कर आप श्रीहरि को प्रसन्न कर सकते हैं. आज इस आर्टिकल में हम आपको बृहस्पतिवार के दिन किए जाने वाले कुछ उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं. तो आइये जानते हैं...
गुरुवार को करें ये उपाय
1. गुरुवार को मृगशिरा नक्षत्र में 'ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:' मंत्र का 21 बार जप करना चाहिए. इससे आपको सभी कामों में सफलता मिलेगी.
2. गुरुवार को पूजा के समय पांच गोमती चक्र लेकर भगवान विष्णु के सामने रखें. उनकी विधि-विधान से पूजा करें. पूजा के बाद उन गोमती चक्र को एक पीले कपड़े में बांधकर अपने पास रख लें. ऐसा करने से आप जीवन में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करेगी.
3. गुरुवार को गेहूं की मीठी रोटी बनाकर जरूरतमंद को खिलाएं. इसके साथ ही प्रात: उठकर 11 बार गायत्री मंत्र का जाप करें. गायत्री मंत्र इस प्रकार है - 'ॐ भूर् भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्'. इस उपाय से आपकी संतान और घर-परिवार का आर्थिक विकास होगा.
4. गुरुवार को केसर, पीला चंदन या फिर हल्दी का दान करें. ऐसा करने से गुरु मजबूत होता है.
5. व्रत रखने वाले लोगों को गुरुवार को सत्यनारायण भगवान की कथा जरूरी सुननी चाहिए. इससे श्रीहरि प्रसन्न होते हैं.
6. इस दिन चना और गुड़ का दान करें. इस उपाय से प्रॉपर्टी खरीदने या घर बनवाने में आ रही समस्या खत्म हो जाती है.
इन मंत्रों का करें जाप
बृहस्पति शांति ग्रह मंत्र
देवानाम च ऋषिणाम च गुरुं कांचन सन्निभम।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।
ॐ बृं बृहस्पतये नमः।।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।
ॐ ह्रीं नमः।
ॐ ह्रां आं क्षंयों सः ।।
बृहस्पति मंत्र
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।
ॐ बृं बृहस्पतये नमः।
ध्यान मंत्र
रत्नाष्टापद वस्त्र राशिममलं दक्षात्किरनतं करादासीनं,
विपणौकरं निदधतं रत्नदिराशौ परम्।
पीतालेपन पुष्प वस्त्र मखिलालंकारं सम्भूषितम्,
विद्यासागर पारगं सुरगुरुं वन्दे सुवर्णप्रभम्।।
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