Holi 2024 Date: साल 2024 में कब है होली? जानें होलिका दहन की तारीख, शुभ मुहूर्त और महत्व
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Holi 2024 Date: साल 2024 में कब है होली? जानें होलिका दहन की तारीख, शुभ मुहूर्त और महत्व

Holi 2024 Date: होली की डेट को लेकर आपके मन में भी सवाल है तो आइये जानते हैं साल 2024 में होली कब है. इसके साथ ही होलिका दहन शुभ मुहूर्त (Holi 2024 Muhurat) और महत्व(Holi 2023 Importance) के बारे में भी जानते हैं

 

Holi 2024 Date

Holi Date 2024: हिंदू धर्म में होली का खास महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्‍गुन मास की पूर्णिमा को होली का त्योहार मनाया जाता है. होली पारंपरिक रूप से दो दिनों का त्योहार है. होली के पहले दिन को होलिका दहन, जलानेवाली होली और छोटी होली के नाम से जाना जाता है. इस दिन सूर्यास्त के बाद होलिका की पूजा-अर्चना कर उसे जलाया जाता है. जबकि दूसरे दिन लोग सूखे गुलाल, रंग और पानी से मौज-मस्ती करते हैं. दूसरे दिन को होली का मुख्य दिन माना जाता है. आइये जानते हैं कि अगले साल यानी 2024 में होली का त्योहार कब पड़ रहा है? 

Holi 2024 Date and Shubh Muhurat 
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन किया जाता है. साल 2024 में होलिका दहन 24 मार्च दिन रविवार को होगा. जबकि 25 मार्च दिन सोमवार को रंगों वाली होली खेली जाएगी. 
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - मार्च 24, 2024 को 09:54 एएम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - मार्च 25, 2024 को 12:29 पीएम बजे

होलिका दहन: रविवार, मार्च 24, 2024 (Holika Dahan 2024 Shubh Muhurat)
होलिका दहन शुभ मुहूर्त: 11:13 पीएम से 12:27 एएम, मार्च 25
अवधि: 01 घण्टा 14 मिनट्स
भद्रा पूंछ - 06:33 पीएम से 07:53 पीएम
भद्रा मुख - 07:53 पीएम से 10:06 पीएम
प्रदोष के दौरान होलिका दहन भद्रा के साथ

होली से जुड़ी पौराणिक कथाएं
होली से जुड़ी अनेक कथाएं प्रचलित हैं. जैसे- हिरण्यकश्यप-प्रह्लाद की जनश्रुति, राधा-कृष्ण की लीलाएं और राक्षसी धुण्डी की कथा आदि. 

एक पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर राजा था, जिसका बेटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था. हिरण्यकश्यप को यह बात बिल्कुल पसंद नहीं थी. बालक प्रह्लाद को भगवान कि भक्ति से विमुख करने का कार्य उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा, जिसके पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती. भक्तराज प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गयीं, लेकिन प्रह्लाद की भक्ति के प्रताप और भगवान की कृपा के फलस्वरूप खुद होलिका ही आग में जल गयी. अग्नि में प्रह्लाद के शरीर को कोई नुकसान नहीं हुआ. इसी के बाद हर साल होलिका दहन किया जाता है. 

एक अन्य मान्यता के अनुसार रंगवाली होली को राधा-कृष्ण के पावन प्रेम की याद में भी मनाया जाता है. एक कथा के अनुसार, एक बार बाल-गोपाल ने माता यशोदा से पूछा कि वह राधा की तरह गोरे क्यों नहीं हैं. माता यशोदा ने मजाक में उनसे कहा कि राधा के चेहरे पर रंग मलने से राधाजी का रंग भी कन्हैया की ही तरह हो जाएगा. इसके बाद कान्हा ने राधा और गोपियों के साथ रंगों से होली खेली और तब से यह पर्व रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जा रहा है. यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव के श्राप के कारण धुण्डी नामक राक्षसी को पृथु के लोगों ने इस दिन भगा दिया था, जिसकी याद में होली मनाई जाती है. 

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