Krishna Bhagwan Ji ki Aarti Lyrics: इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 6 और 7 सितंबर को मनाया जा रहा है. गृहस्थ जीवन वाले लोग 6 सितंबर को मना रहे हैं औऱ वैष्णव संप्रदाय के लोग 7 सितंबर को मना रहे हैं. हर साल भाद्रपद मास में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है.भक्त भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं.  इस दिन लोग रात्रि 12 बजे तक व्रत भी रखते हैं. लोग अपने घरों में भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और भगवान को 56 भोग लगाते हैं. शास्त्रों में लिखा गया है कि श्री कृष्ण की पूजा को विधि- विधान से करना चाहिए. यदि आप भी कान्हा जी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस पावन पर्व पर ये आरती जरूर पढ़ें...


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श्रीकृष्ण की आरती
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की..
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की..
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला 
श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक
चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की..
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं.
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग,  मधुर मिरदंग ग्वालिन संग.
अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की..
 आरती कुंजबिहारी की..
जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा.
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस.
जटा के बीच,हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की..
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू 
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू 
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद
टेर सुन दीन दुखारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की..
आरती कुंजबिहारी की...


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