Rangoli Vastu Tips : दीपावली आने ही वाली है. इस मौके पर हम सब अपने घर को खूबसूरत रंगोली से सजाएंगे. रंगोली या कोलम, रंगीन चावल के आटे या पाउडर से बनाई जाती है. इससे धन की देवी का स्वागत किया जाता है. इससे घरों में सकारात्मकता और समृद्धि आती है. हालांकि आपके घर को वास्तु के अनुसार सजाने से प्राचीन भारतीय वास्तुशास्त्र, रंगोली के शुभ प्रभावों को बढ़ा सकता है. इस दीवाली वास्तु के सिद्धांतों के साथ अपनी रंगोली को मेल करें. 


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दीवाली के दौरान रंगोली कला बनाने की अहमियत
रंगोली भारत में दीवाली के त्योहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह अलग-अलग सामग्रियों जैसे कि रंग का पाउडर, फूल, चावल के दाने और रेत का उपयोग करके जमीन पर बनाई जाने वाली एक अद्भुत और जीवंत कला है. रंगोली भारतीय संस्कृति में बड़ा महत्व रखती है. खासकर दीवाली के दौरान दीवाली के दौरान रंगोली बनाने का प्रमुख कारण है कि घर में देवी लक्ष्मी का गर्म स्वागत किया जाए, जो धन और समृद्धि का प्रतीक होती है. रंगोली का माना जाता है कि यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है और परिवार पर शुभ फल प्रदान करती है. रंगोली में इस्तेमाल रंग खुशी, खुशियां और त्योहार का प्रतीक होते हैं, जिससे यह दीवाली के जश्न का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाती है.


दीवाली के दौरान रंगोली बनाने के इस प्रैक्टिस के पीछे एक और तर्क यह है कि घर से नकारात्मक शक्तियों को दूर किया जाए. रंगोली की जटिल डिज़ाइन और पैटर्न एक सकारात्मक और समान्य वातावरण बढ़ावा देते हैं. नकारात्मक ऊर्जाओं के खिलाफ एक बाधक के रूप में कार्य करते हैं. 


वास्तु के मुताबिक उत्तर-पूर्व की दिशा अत्यंत शुभ है. उत्तर-पूर्व की दिशा में प्रवेशद्वार पर रंगोली बनाने से भाग्य और भाग्य की वृद्धि होती है. दक्षिणपूर्व की दिशा गोदेस लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए दूसरा सर्वश्रेष्ठ है. दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम की दिशा में रंगोली न बनाने का परहेज करें. क्योंकि यह आपकी सकारात्मक ऊर्जा को खींच सकता है. 


रंगोली बनाने से पहले 10 बातों पर गौर करें
1.घर का मुख्य प्रवेश उत्तर-पूर्व की दिशा में
2.पूजा कक्ष पूर्व या उत्तर की ओर होनी चाहिए.
3.रसोई दक्षिणपूर्व या उत्तर-पश्चिम में होनी चाहिए.
4.बैठक उत्तर-पूर्व या पूर्व में होनी चाहिए.
5.शुभ प्रतीकों जैसे कि स्वस्तिक, ओम, और कमल को रंगोली में शामिल करना वास्तु के अनुसार शुभ माना जाता है.
6.रंगोली को गोल या ओवल के आकार में बनानी चाहिए, क्योंकि ये फॉर्म पूर्णता और एकता का प्रतीक होते हैं.


रंगोली के चुने गए रंगों को जीवंत और चमकदार होना चाहिए, जो खुशी, आनंद, और त्योहार का प्रतीक होते हैं. वास्तु के सिद्धांतों के मुताबिक दीवाली की रंगोली के शुभ रंग होते हैं, जैसे कि लाल, नारंगी, पीला, और हरा, जो समृद्धि, विकास, और सकारात्मकता का प्रतीक होते हैं. पारंपरिक रंगोली को रंगीन पाउडर, चावल का आटा, और फूलों से बनाया जाता है. हालांकि वास्तु सिफारिश करता है कि आप हल्दी, कुंकुम, सिन्दूर, और चंदन के प्राकृतिक और जैविक सामग्री का चयन करें. ये सामग्री सफाई और शुद्धिकरण की गुणधर्म रखती हैं, जो घर में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं.


वास्तु के मुताबिक रंगोली को बनाने की दिशा भी महत्वपूर्ण होती है. यह सलाह दी जाती है कि घर की उत्तर, पूर्व, या उत्तर-पूर्व की दिशा में रंगोली बनाई जाए, क्योंकि इन दिशाओं को धन, स्वास्थ्य, और समृद्धि आने के लिए माना जाता है.


अपनी दिवाली रंगोली डिजाइन करते समय इन वास्तु दिशानिर्देशों का पालन करके सही रंगों, सामग्रियों, और प्रतीकों का उपयोग करके तो आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ा सकते हैं, जिससे आपके घर में भाग्य, समृद्धि, और खुशी आए. इसलिए, इस दीवाली इन वास्तु सिफारिशों का पालन करके अपने आवास को एक खूबसूरत रंगोली से सजाएं और अपने घर के भीतर सकारात्मकता को बढ़ावा दें.


स्वस्तिक: यह शुभ प्रतीक समृद्धि और भाग्य का प्रतीक होता है
कमल : शुद्धता, दिव्यता, और पवित्रता का प्रतीक
कलश : संपन्नता और पूर्ति लेकर आता है.
पत्तियाँ और फूल : विकास और सकारात्मकता का प्रतीक है.
दिये : साधारण दिया डिज़ाइन गर्म और उज्ज्वल ऊर्जा फैलाते हैं.


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