Makar Sankranti 2024 Snan: मकर संक्रांति पर क्यों जरूरी है गंगा स्नान, जानें महत्व के साथ कारण
Makar Sankranti 2024 Snan: मकर संक्रांति के ज्योतिषीय महत्व के साथ-साथ इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बड़ा माना गया है. मकर संक्रांति पर प्रयाग के संगम तट पर स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. संक्रांति पर तिल का दान, घी का दान, गुड़ का दान और खिचड़ी का दान करने से शुभ फल मिलते हैं.
Makar Sankranti 2024 Snan: मकर संक्रांति तब मनाते हैं, जब ग्रहों के राजा सूर्य देव शनि महाराज की राशि मकर में गोचर करते हैं.हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह में मकर संक्रांति के त्योहार का खास महत्व माना जाता है. इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी 2024 को मनाया जा रहा है. मकर संक्रांति पर स्नान क्यों करते हैं? इसी दिन से सूर्य उत्तराणय होते हैं। वैदिक ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति पर सूर्य धनु राशि की यात्रा को विराम देते हुए मकर राशि में प्रवेश करते हैं.
त्योहार एक नाम अनेक
उत्तर भारत में जहां इस त्योहार को खिचड़ी के त्योहार के रूप में मनाया जाता है तो गुजरात और महाराष्ट्र में इसे उत्तराणय के नाम से मनाया जाता है। दक्षिण भारत में इस त्योहार को पोंगल के रूप में मनाया जाता है.
मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का महत्व
मकर संक्रांति के अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त से ही गंगा स्नान करना शुरू हो जाता है. इस दिन गंगा स्नान का बड़ा महत्व है. मकर संक्रांति के दिन स्नान करने से पाप मिटते हैं और पुण्य की मिलता है. मकर संक्रांति के त्योहार के बाद से दिन लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं. सूर्य एक वर्ष में उत्तरायण और दक्षिणायण होते हैं. मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करना महत्वपूर्ण होता है. गंगा स्नान करने से मोक्ष मिलता है. विष्णु पुराण में बताया गया है कि राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए मां गंगा को अपने कठोर तप से पृथ्वी पर बुलाया. तब मां गंगा ब्रह्मा जी के कमंडल से निकलकर भगवान शिव की जटाओं में होती हुई हिमालय से पृथ्वी पर आईं थी. सूर्योदय से पहले स्नान करने से दस हजार गौ दान का फल मिलता है.
सूर्य देव को अर्घ्य
संक्रांति पर भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. अर्ध्य देने से पहले स्नान जरूरी है. स्नान करने से शरीर पवित्र होता है और मन निर्मल हो जाता है. सूर्य देव को जल, लाल चंदन, लाल फूल आदि से अर्घ्य दिया जाता है.
पितरों को तर्णण और दान
मकर संक्रांति पर स्नान करने के बाद आपको अपने पितरों का तर्पण और दान करना चाहिए. इससे आपको अपने पितरों का भी आशीर्वाद मिलेगा जिससे आपका जीवन सुखी हो जाएगा. मकर संक्रांति पर स्नान के बाद गेहूं, गुड़, तिल, गरम कपड़े, अनाज आदि का दान करते हैं.
15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान का शुभ समय
महापुण्य काल-सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 09:00 बजे तक
मकर संक्रांति पर ब्रह्म मुहूर्त सुबह- 05 बजकर 27 मिनट से सुबह 06 बजकर 21 मिनट तक.
पुण्य काल सुबह-07 बजकर 15 मिनट से शाम 05 बजकर 46 मिनट तक.
रवि योग-सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 07 मिनट तक है.
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