Matra Navami 2023 Shraddh: पितृपक्ष की शुरुआत 28 सितंबर से शुरू हो गई जो 14 अक्टूबर तक रहेंगे. इस दौरान पितरों को जल देने की परंपरा है. धर्म शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष में माता का श्राद्ध नवमी तिथि पर करने का विधान है. इसे मातृ नवमी के नाम से जाना जाता है. यह आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है. यह तिथि माता का श्राद्ध करने के लिये सबसे उपयुक्त दिन होता है. इस तिथि पर श्राद्ध करने से परिवार की सभी मृतक महिला सदस्यों की आत्मा प्रसन्न होती है. मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करने से माताओं की आत्मा को सुख-शांति मिलती है. आइए जानते हैं पितृ पक्ष में मातृ नवमी कब है.


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क्या है मातृ नवमी श्राद्ध ? 
इस दिन दिवंगत माताओं, बहुओं और बेटियों का पिंडदान करते हैं जिनकी मृत्यु सुहागिन के रूप में हुई हो. इसे मातृ नवमी श्राद्ध कहते हैं. इसे नौमी श्राद्ध तथा अविधवा श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है. मातृ नवमी अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को पड़ती है. यह तिथि माता का श्राद्ध करने के लिये सबसे उपयुक्त दिन होता है. इस तिथि पर श्राद्ध करने से परिवार की सभी मृतक महिला सदस्यों की आत्मा प्रसन्न होती है. ऐसी मान्याता है कि  इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है.


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मातृ नवमी 2023 तारीख
मातृ नवमी- 7 अक्टूबर 2023 


मातृ नवमी 2023 श्राद्ध का समय
कुतुप मूहूर्त-सुबह 11:45 से दोपहर 12:32 तक


रौहिण मूहूर्त
दोपहर 12:32 - दोपहर 01:19


अपराह्न काल 
दोपहर 01:19-दोपहर 03:40


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मातृ नवमी महत्व 
पितृपक्ष में पड़ने वाली हर तिथि का अपना महत्व है लेकिन मातृ नवमी का अपना विशेष महत्व है इसलिए इस तिथि को सौभाग्यवती श्राद्ध तिथि भी कहा जाता है. जीते जी मां परिवार की खुशहाली के लिए हर संभव प्रयास करती है. ऐसे में मातृ नवमी पर दिवंगत माता को याद करते हुए श्राद्ध करने से सभी कष्ट दूर होते हैं, उनकी कृपा से घर फलता फूलता है.


मातृ नवमी पर क्या करें? 
मातृ नवमी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान करके दोपहर में दक्षिण दिशा में चौकी पर सफेद आसन बिछा दें. फिर आसन पर मृत परिजन की फोटो रखें और माला पहनाएं. फोटो पर गुलाब के फूल चढ़ाएं, तेल का दीपक जलाएं. दीपक में काले तिल डालें और पूरे विधि विधान से श्राद्ध की क्रिया संपन्न करें. मातृ नवमी के दिन हमें धार्मिक नियमों का पालन करने के साथ-साथ सभी महिलाओं का सम्मान करना चाहिए.


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