Narasimha Jayanti 2024: पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नृसिंह जयंती मनाई जाती है. भगवान विष्णु के 10 अवतार में नृसिंह चौथा अवतार है. इस अवतार में भगवान विष्णु का आधा शरीर मनुष्य और आधा सिंह के समान था.
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Narsinmha Jayanti 2024: हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु के चौथे अवतार भगवान नृसिंह का प्राकट्य पर्व मनाया जाता है. इस दिन को नृसिंह जयंती या नृसिंह चौदस के रूप में मनाया जाता है. वैदिक पंचांग के अनुसार जो इस साल 21 मई 2024 को मनाया जाएगा. नृसिंह अवतार भगवान विष्णु के दस अवतारों में से चौथा अवतार है. यहां हम जानते हैं नृसिंह जयंती व्रत पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में.
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कब है नृसिंह जयंती
शुरू- वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 21 मई को शाम 5.40 बजे
समापन -यह तिथि 22 मई को शाम 6.45 बजे समाप्त होगी.
पूजा का समय
शाम 4.24 बजे से शाम 7.09 बजे के बीच होगा
शाम को होती है पूजा
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नृसिंह जयंती व्रत किया जाता है.शास्त्रों के अनुसार विष्णु जी ने अपने परम भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए नरसिंह का अवतार धारण किया था. नृसिंह चतुर्दशी को भक्तगण संकल्पपूर्वक व्रत रखते हैं. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भगवान नरसिंह जी की पूजा संध्या काल में की जाती है. भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार शाम के समय लिया था क्योंकि हिरण्यकश्यप को वरदान था कि वह ना तो दिन और ना ही रात में मर सकता था. इस दिन भगवान नृसिंह के साथ मा लक्ष्मी की पूजा की जाती है. शंख, घंटे एवं घड़ियाल से नृसिंह भगवान की आरती की जाती है और रात्रि के समय जागरण होता है.
नृसिंह जयंती पूजा विधि
नृसिंह जयंती व्रत के दिन एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और भगवान नृसिंह की तस्वीर या मूर्ति रखें. नरसिंह अवतार की तस्वीर या मूर्ति नहीं है तो भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की तस्वीर भी रख सकते हैं. इसके बाद पूजा की जगर पर चारों तरफ गंगाजल से छिड़काव करें. नृसिंह भगवान की पूजा के दौरान फल, फूल, धूप-दीप, पंचमेवा, नारियल, अक्षत और पीतांबर अर्पित करें. अंत में नरसिम्हा भगवान की आरती करें और पूजा के समय शंख नाद जरूर करें. विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करें. नृसिंह भगवान को तुलसीदल के साथ भोग लगाएं. रात का जागरण करें. ऐसी मान्यता है कि नृसिंह जयंती के दिन रात्रि जागरण करने का विशेष फल मिलता है.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.