Paryushan Parv 2024: जैन धर्म का महापर्व `पर्युषण` आज से शुरू, व्रत-तप और साधना से होगी आत्मशुद्धि
Paryushan Parv 2024: आज से जैन समाज के महापर्व `पर्युषण` की शुरुआत हो गई है. इस महापर्व का समापन 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के साथ होगा. जैन धर्म के मुताबिक, यह पर्व अनुयायियों को आत्मशुद्धि के लिए प्रेरित करता है. साथ ही तप, आराधना और आत्मा को शुद्ध और पवित्र बनाने के लिए यह महापर्व प्रेरित करता है.
Paryushan Parv 2024: दिगंबर जैन समाज के महापर्व 'पर्युषण' की शुरुआत आज यानी 8 सितंबर से शुरू हो गई है. इस 10 दिवसी य पर्युषण पर्व का समापन 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के साथ होगा. जैन धर्म के मुताबिक, यह पर्व अनुयायियों को आत्मशुद्धि के लिए प्रेरित करता है. यह तप, आराधना और आत्मा को शुद्ध और पवित्र बनाने के लिए जरूरी धार्मिक क्रियाओं के लिए प्रेरणा देता है. इन 10 दिनों में ईर्ष्या, कलह, मतभेद, अहंकार और लोभ-लालच से दूर रहते हुए धर्माराधना की जाएगी. जैन धर्म के इस त्योहार को पर्वों का राजा कहा जाता है. यह पर्व भगवान महावीर स्वामी के मूल सिद्धांत 'अहिंसा परमो धर्म, जिओ और जीने दो' की राह पर चलना सिखाता है और मोक्ष के द्वार खोलता है.
कितने दिनों तक मनाया जाता है ये पर्व?
दिगंबर जैन समाज के लोग पयुर्षण के त्योहार को दशलक्षण पर्व भी कहते हैं. इस महापर्व में पूरे 10 दिन का उपवास रखा जाता है. इसमें उपासक दस दिनों तक अपने व्यवहार और कर्मों को ध्यान में रखकर काम करता है. उपवास के प्रत्येक दिन के लिए अलग-अलग नियम और कर्म निर्धारित किए गए हैं. जानकारी के मुताबिक, श्वेतांबर समाज के लोग 8 दिनों तक पर्युषण पर्व मनाते हैं. आखिरी दिन संवत्सरी महापर्व को 'मिच्छामि दुक्कड़म' कहते हुए क्षमापर्व के रूप में मनाते हैं. वहीं दिगंबर समाज के लोग 10 दिनों तक पर्युषण महापर्व मनाते हैं. इसके बाद क्षमावाणी पर 'उत्तम क्षमा' कहते हुए सबसे क्षमा मांगते हैं.
कैसे मनाया जाता है ये महापर्व?
'पर्युषण' जैन धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसमें श्वेतांबर और दिगंबर समुदाय के लोग भाद्रपद में तप-साधना और आराधना करते हैं. इन दिनों मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, तप और ध्यान किया जाता है. जैन धर्म के अनुयायी व्रत, तप, साधना करके आत्म शुद्धि की कोशिश करते हैं. इतना ही नहीं पूरे साल जाने-अनजाने में किए गए पापों के लिए भगवान से क्षमा याचना करते हैं. पर्युषण के दौरान हर दिन शाम को पश्चाताप के लिए प्रतिक्रमण भी किया जाता है.
क्या है इस पर्व का उद्देश्य?
पर्युषण मतलब आत्मा की शुद्धि का पर्व यानी अपने मन से राग, द्वेष, कषाय, अहंकार, क्रोध, लोभ, लालच हटाकर धर्म में लीन होना. इसके साथ ही अपनी आत्मा के कल्याण के लिए दूसरों की सभी गलतियों को क्षमा करना और दूसरे द्वारा कही गई बुरी-भली बातों को भूलकर उन्हें माफ कर देना और खुद भी क्षमा मांगकर अपने द्वारा दूसरों को पहुंचाई गई ठेस के लिए उन्हें माफ करके अपने मन को शांति देना और परमात्मा के बताए रास्ते पर चलकर मोक्ष प्राप्ति की कामना करना ही इस पर्व का उद्देश्य है.
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