Janmashtami 2024: 26 अगस्त यानी कल कृष्ण जन्माष्टमी का पावन त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन श्री कृष्ण के भजनों की खूब धूम रहती है. हर कोई कान्हा के भजनों पर ठिरकता नजर आता है. कई जगह जन्माष्टमी पर बच्चों को राधा-कृष्ण बनाया जाता है और जन्माष्टमी के गानों पर डांस किया जाता है. ऐसे में हम आपके लिए जन्माष्टमी के सुपरहिट भजनों का कलेक्शन लेकर आए हैं.
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥ हे नाथ नारायण...॥ पितु मात स्वामी, सखा हमारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥ हे नाथ नारायण॥ श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी॥ बंदी गृह के, तुम अवतारी, कही जन्मे, कही पले मुरारी।। किसी के जाये, किसी के कहाये. है अद्भुद, हर बात तिहारी ॥ है अद्भुद, हर बात तिहारी ॥ गोकुल में चमके, मथुरा के तारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥ श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥ पितु मात स्वामी, सखा हमारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा॥
सांवली सलोनी सूरत पर मैं बलिहारी, कारी कजरारी अखियों पे मैं वारी वारी। जरा इतना बता दे कान्हा तेरा रंग काला क्यूं।। तू काला होकर भी, जग से निराला क्यूं। जरा इतना बता दे कान्हा......।। मैंने काली रात में जन्म लिया और काली गाय का दूध पिया।। मेरी कमली भी काली है इसलिए काला हूं। जरा इतना बता दे कान्हा तेरा रंग काला क्यूं, तू काला होकर भी, जग से निराला क्यूं।।
जी लेंगे सरकार तेरी सरकारी में, हमें रख लेना श्री श्याम तेरी दरबारी में, हमें रख लेना श्री श्याम तेरी दरबारी में।। तेरा रुतबा तेरा नजारा, दो जहां से न्यारा है, तुमसा न कोई लगता मुझको प्यारा है, आ गया मुझको मजा तेरी यारी में, हमें रख लेना श्री श्याम तेरी दरबारी में।।
माखन खा गयो माखनचोर, पकड़ो पकड़ो दौड़ो दौड़ो।। कान्हा भागा जाये, कभी कुंज में कभी कदम पे, हाथ नहीं ये आये, गोकुल की गलियों में मच गया शोर, माखन खा गयो माखनचोर, नटखट नटखट नंदकिशोर, माखन खा गयो माखनचोर।। संग में सखाओं की टोली खड़ी, माखन चुराने की आदत पड़ी, ऊंची मटकिया में माखन धरो, आंगन में माखन बिखरो पड़ो, हाथ नहीं आये झपट के खाय, माखन खा गयो माखनचोर।।
ओ कान्हा अब तो मुरली की, मधुर सुना दो तान, मैं हूं तेरी प्रेम दिवानी, मुझको तु पहचान...मधुर सुना दो तान, ओ कान्हा अब तो मुरली की, मधुर सुना दो तान ।। जब से तुम संग मैंने अपने नैना जोड़ लिये हैं, क्या मैया क्या बाबुल सबसे रिश्ते तोड़ लिए हैं, तेरे मिलन को व्याकुल हैं ये कबसे मेरे प्राण, मधुर सुना दो तान, ओ कान्हा अब तो मुरली की, मधुर सुना दो तान।।
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से, मैया करादे मेरो ब्याह, उम्र तेरी छोटी है नजर तेरी खोटी है, कैसे करा दु तेरो ब्याह, जो नहीं ब्याह करे तेरी गैया नहीं चराऊ॥ आज के बाद मेरी मैया तेरी देहली पर ना आऊ, आऐगा, रे मजा, रे मजा, अब जीत हार का, राधिका गोरी......चंदन की चौकी पर मैया तुज को बिठाऊं, अपनी राधा से मैं चरण तेरे दबावू, भोजन मैं बनवाऊंगा, बनवाऊंगा छप्पन प्रकार के, राधिका गोरी ......
किशोरी श्यामा श्याम सलोनी सूरत को श्रृंगार बसंती है, मोर मुकुट की लटक बसंती, चंद्रकला की चटक बसंती, मुख मुरली की मटक बसंती, सिर पै पैंच श्रवण-कुंडल छविदार बसंती है, श्यामा श्याम... माथे चन्दन लसियो बसंती, पट पीताम्बर कसियो बसंती, पहना बाजूबंद बसंती, गुंजमाल गल सोहै फूलनहार बसंती है, श्यामा श्याम...
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं । हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥१॥ वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं । चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥२॥ वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ । नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥३॥ गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं । रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥४॥ करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरं । वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥५॥ गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा । सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥६॥
फूलों में सज रहे है, श्री वृन्दावन बिहारी और साथ सज रही है, वृषभान की दुलारी ।। टेढ़ा सा मुकुट सर पर, रखा है किस अदा से करूणा बरस रही है, करूणा भरी निगाह से । बिन मोल बिक गई हूं, जब से छवि निहारी ।। फूलों में सज रहे है, श्री वृन्दावन बिहारी ।