Advertisement
trendingPhotos/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2445250
photoDetails0hindi

Ekadashi Pitru Paksha 2024: एकादशी पर मृत्यु हो तो मिलता है स्वर्ग पर रहना पड़ता है भूखा, जानें पितृ पक्ष का अनोखा रहस्य

इंदिरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और पितरों के नाम का श्राद्ध व दान करने का विशेष महत्व होता है. इस वर्ष 28 सितंबर को इंदिरा एकादशी का व्रत है.  इस अवसर आपको बतात हैं कि जिन लोगों की मृत्यु एकादशी के दिन होती है उनका आत्मा को स्वर्ग में भी भूखे क्यों रहना पड़ता है.

पितृ पक्ष और श्राद्ध का महत्व

1/10
पितृ पक्ष और श्राद्ध का महत्व

पितृ पक्ष में पितरों के नाम का श्राद्ध, तर्पण और दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार, यह अनुष्ठान पितृ दोष से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.

एकादशी के दिन मृत्यु का महत्व

2/10
एकादशी के दिन मृत्यु का महत्व

गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु एकादशी के दिन होती है, तो उसकी आत्मा सीधे स्वर्ग लोक में जाती है. इस दिन मृत्यु को मोक्ष का द्वार माना जाता है, क्योंकि व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है.

स्वर्ग में एकादशी पर भोजन नहीं मिलता

3/10
स्वर्ग में एकादशी पर भोजन नहीं मिलता

हालांकि, एकादशी के दिन स्वर्ग लोक में भंडारा बंद रहता है. इस कारण, एकादशी के दिन स्वर्ग में जाने वाली आत्मा को भोजन नहीं मिलता और उसे भूखा रहना पड़ता है, क्योंकि स्वर्ग में भी सभी एकादशी का व्रत रखते हैं.

यमलोक की प्रक्रिया

4/10
यमलोक की प्रक्रिया

मृत्यु के बाद, यमदूत आत्मा को यमलोक ले जाते हैं, जहां उसके पाप और पुण्य का लेखा-जोखा होता है. 24 घंटे बाद आत्मा को घर वापस छोड़ दिया जाता है, लेकिन आत्मा अपने शरीर में प्रवेश नहीं कर सकती, क्योंकि वह यमदूतों के नियंत्रण में रहती है.

इंदिरा एकादशी का महत्व

5/10
इंदिरा एकादशी का महत्व

पितृ पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है. इसके साथ ही, पितरों के लिए श्राद्ध और दान करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.

सात पीढ़ियों के पितरों की तृप्ति

6/10
सात पीढ़ियों के पितरों की तृप्ति

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत करने और पितरों का श्राद्ध करने से सात पीढ़ियों के पितर तृप्त हो जाते हैं. जिससे परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है.

देवताओं और पितरों के दिन

7/10
देवताओं और पितरों के दिन

शुक्ल पक्ष के 15 दिन देवताओं के दिन माने जाते हैं, जबकि कृष्ण पक्ष के 15 दिन पितरों के दिन माने जाते हैं. देवताओं के दिन उत्तरायण और पितरों के दिन दक्षिणायन काल कहलाते हैं.

मृत्यु के समय का प्रभाव

8/10
मृत्यु के समय का प्रभाव

गीता के अनुसार, शुक्ल पक्ष में मृत्यु होने पर व्यक्ति मोक्ष प्राप्त करता है और जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है. जबकि, कृष्ण पक्ष में मृत्यु होने पर व्यक्ति का पुनर्जन्म होता है.

क्या है कहता गरुड़ पुराण

9/10
क्या है कहता गरुड़ पुराण

भागवद् गीता की ही तरह गरुड़ पुराण में भी यही कहा गया है कि एकादशी के दिन मृत्यु को प्राप्त होने वाला व्यक्ति सीधे स्वर्ग जाता है और जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है और मोक्ष को प्राप्त होता है

Disclaimer

10/10
Disclaimer

यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.