Shardiya Navratri 2024 9th Day: मां सिद्धिदात्री को समर्पित है नवरात्रि का नौवां दिन, जानें कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त और महत्व
Shardiya Navratri 2024 9th Day: नवरात्रि के नौवं दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. नवरात्रि की नवमी तिथि के दिन हवन और कन्या पूजन का विधान है. जानें महानवमी के दिन के सारे शुभ मुहूर्त.
Shardiya Navratri 2024 9th Day: नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा के लिए समर्पित होता है. इस दिन को महानवमी भी कहा जाता है.कमल पर विराजमान होने के कारण इन्हें माँ कमला भी कहा जाता है. मां सिद्धिदात्री भगवान विष्णु की अर्धांगिनी है. सिद्धिदात्री, नाम से ही स्पष्ट है सिद्धियों को देने वालीइस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती.
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कब है महानवमी?
शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि का शुभारंभ 11 अक्टूबर, दिन शुक्रवार,सुबह 6 बजकर 52 मिनट से हो रहा है और इसका समापन 12 अक्टूबर के दिन सुबह 5 बजकर 47 मिनट पर होगा.
उदया तिथि के अनुसार महानवमी अक्टूबर की 12 तारीख को मनाई जानी चाहिए, लेकिन तिथि क्षय के कारण नवमी का पूजन और कंजक जमाना अष्टमी तिथि के दिन ही कर सकते हैं.
कन्या पूजन
कुछ लोग कन्या पूजन अष्टमी के दिन करते हैं तो कुछ लोग महानवमी पर कन्याओं को भोजन कराते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कन्या पूजन से पहले कन्याओं को भोजन के लिए एक दिन पहले निमंत्रण दें. कन्याओं के आने होने पर उनके पैर अच्छे से धोएं. उनको बिठाएं औरश्रृंगार भी करें. फिर उनको भोजन कराएं. भोजन कराने के बाद मिठाई, फल और अपनी सामर्थ्यानुसार दक्षिणा दें.उसके बाद उन्हें विदा करें.
कन्या पूजन मुहूर्त
अष्टमी और नवमी का कन्या पूजन एक ही दिन होने के कारण शुभ मुहूर्त 10 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 14 मिनट से सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक है. संधि पूजा मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 4 मिनट तक है. नवमी पर मां दुर्गा के नौवे स्वरूप यानी कि मां सिद्धिदात्री का संध्या पूजन मुहूर्त 11 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 11 मिनट से 6 बजकर 7 मिनट.
मां सिद्धिदात्रि को अर्पित करें ये चीजें
महानवमी पर मां सिद्धिदात्रि को खीर, पूड़ी, चना, हलवा, नारियल और मौसमी फल का भोग लगाएं.
कैसा है मां का स्वरूप
सिद्धि और मोक्ष देने वाली दुर्गा को सिद्धिदात्री कहा जाता है. सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप माना जाता है. यह देवी भगवान विष्णु की प्रियतमा लक्ष्मी के समान कमल के आसन पर विराजमान है. इनका वाहन सिंह ही है. मां के चार हाथ हैं और इनके दाहिनी ओर के नीचे वाले हाथ में चक्र है और ऊपर वाले हाथ में गदा है. बाईं ओर के नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है और ऊपर वाले हाथ में शंख है.
महानवमी का महत्व
मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है. शारदीय नवरात्रि का नौंवा दिन यानी नवमी तिथि मां सिद्धिदात्री को समर्पित है. इस तिथि पर मां दुर्गा के नौंवे स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों को सिद्धियों की प्राप्ति होती है. देवी पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने इन्हीं शक्तिस्वरूपा देवी जी की उपासना करके सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं, जिसके प्रभाव से शिव जी का स्वरूप अर्द्धनारीश्वर का हो गया था.इस दिन कन्या पूजन से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां सामान्य जानकारियां, धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं,वास्तुशास्त्र पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता हइसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.
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