Vaman Dwadashi 2023: आज है वामन द्वादशी? जानें पूजा विधि, खास भोग के साथ शुभ मुहूर्त
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Vaman Dwadashi 2023: आज है वामन द्वादशी? जानें पूजा विधि, खास भोग के साथ शुभ मुहूर्त

Vaman Jayanti 2023: वामन द्वादशी को भगवान विष्णु के वामन अवतार की जयंती के रूप में मनाया जाता है...इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु के अवतार वामन भगवान की पूजा की जाती है... 

Vaman Dwadashi 2023

Vaman Dwadashi 2023: वामन जयंती या वामन द्वादशी व्रत हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है.  भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की बारहवीं तिथि को वामन द्वादशी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने वामन अवतार (Vaman Avatar) के रूप में जन्म लिया था. हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन जयंती मनाई जाती है. इस दिन भगवान विष्णु के पूर्णावतार वामन भगवान की जयंती के रूप में मनाई जाती है जो कि भगवान विष्णु के दसवें अवतार में से एक हैं. मान्यता है कि वामन जयंती को भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा से समस्त बुरे कर्मों से छुटकारा मिल सकता है. यहां जानते हैं कि वामन जयंती कब मनाई जाएगी और इसका शुभ मुहूर्त.

वामन द्वादशी, जिसे अन्य नामों से भी जाना जाता है. इस दिन भक्त भगवान वामन की पूजा करते हैं और विष्णु सहस्रनामा नामावली का पाठ करते हैं.  कुछ लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं.

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कब है वामन द्वादशी?
वामन द्वादशी का प्रारम्भ-26 सितंबर 2023-दिन मंगलवार के दिन सुबह 05 बजे से होगा.
समापन- 27 सितंबर 2023, बुधवार के दिन सुबह 01 बजकर 45 मिनट पर होगा.

वामन द्वादशी का महत्व (Vaman Dwadashi Importance)
वामन द्वादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन करने से मनुष्य के अंदर से अहंकार की भावना खत्म हो जाती है.  यह भी मान्यता है कि वामन द्वादशी के दिन भगवान के वामन रूप की पूजा करने से बुरे कर्मों से छुटकारा मिलता है.

वामन जयंती की पूजा विधि 
वामन जयंती के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि के बाद पूजा करें.चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु के वामन अवतार की तस्वीर स्थापित करें. इस दिन श्रवण नक्षत्र में पूजा करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. उन्हें रोली, पीले फूल, नैवेद्य आदि अर्पित करें. इसके साथ ही भगवान को दही और मिश्री का भोग लगाएं. पूजा करने के बाद वामन अवतार की कथा जरूर पढ़ें. आरती करें और अन्त में प्रसाद बांटे. इस दिन श्रवण नक्षत्र में पूजा को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.

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