Vijayadashami 2024: शारदीय नवरात्रि चल रही है. नवरात्रि के आखिरी दिन विजयदशमी मनाई जाती है. इस बार विजयदशमी 12 अक्‍टूबर यानी शनिवार को मनाई जाएगी. भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था. विजयदशमी असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है. रावण को भगवान का शिष्‍य कहा जाता है. रावण ने अपनी तपस्‍या से भगवान शिव को प्रसन्‍न भी कर लिया था. रावण का वध करना आसान नहीं था. तो आइये जानते हैं रावण के वध से जुड़ी कहानी. 


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रावण के वध से जुड़ी कहानी 
पुराणों के मुताबिक, त्रेतायुग के अंतिम चरण के आरंभ में रावण का जन्‍म हुआ था. रावण संहिता में भी यह उल्‍लेख किया गया है. रावण ने अपने भाइयों (कुम्भकर्ण और विभीषण) के साथ ब्रह्माजी की करीब 10 हजार वर्षों तक तपस्‍या की. इस दौरान रावण हर एक हजार साल में अपने एक शीश की आहुत‍ि दे देता था. जैसे ही 10वां शीश की आहुति देने चला तो ब्रह्माजी प्रकट हो गए और उन्‍होंने वर मांगने को कहा. इस पर रावण ने ब्रह्माजी से वर मांगा कि उसे देव, दानव, दैत्य, राक्षस, गंधर्व, नाग, किन्नर, यक्ष इत्‍यादि कोई मार न पाए. 


एक हजार साल तक शिव स्‍तुति की 
ब्रह्माजी ने कहा कि तथास्‍तु! लेकिन नर-वानर से खतरा हो सकता है ये याद रखना. इस पर रावण ने कहा कि इनसे डर नहीं है. ये मेरा आहार हैं. रावण ने भगवान शिव की एक हजार साल तक शिव स्‍तुति भी की. भगवान शिव उस पर खुश हो गए थे. माना जाता है कि इन वरदानों की वजह से ही रावण 40 हजार वर्ष तक जीवित रहा. पुराणों के मुताबिक, 41वें हजार वर्ष में भगवान राम ने रावण का वध किया था. 



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