कानपुर: संजीत यादव अपहरण और हत्या मामले में पीड़ित परिवार का गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है. मृतक संजीत के परिजन शुक्रवार को अपने घर के बाहर तैनात पुलिसवालों को चकमा देकर पैदल ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने लखनऊ के लिए निकल पड़े. पुलिस ने संजीत के परिजनों को बर्रा बाइपास के पास रोकने की कोशिश की तो उनकी झड़प हो गई. संजीत की बहन रुचि व मां कुसमा सड़क पर लेट गईं.


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इस दौरान हाईवे पर करीब एक घंटे जाम रहा. उनके पीछे-पीछे 'संजीत की बहन को इंसाफ दो' जैसे स्लोगन लिखी तख्तियां लिए हुए काफी लोग लखनऊ कूच करने के लिए पैदल चल पड़े थे. पुलिस अधिकारियों ने संजीत के परिजनों को बहुत कोशिशों के बाद लखनऊ न जाने के लिए मनाया. उनके सामने ऐसा नहीं करने के लिए हाथ तक जोड़े, परिजनों की मुलाकात मुख्यमंत्री योगी से कराने का आश्वासन दिया, तब जाकर पीड़ित परिवार वापस लौटा.


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संजीत के पिता चमन यादव ने कहा कि हम सभी लोग न्याय के लिए मुख्यमंत्री से मुलाकात करने पैदल ही लखनऊ जा रहे थे. लेकिन रास्ते में पुलिस ने रोक लिया. पुलिस अधिकारियों ने 2 दिन के अंदर मुख्यमंत्री से हमारी मुलाकात कराने का आश्वासन दिया है. इस दौरान संजीत की बहन रुचि ने कहा कि पुलिस अभी तक मेरे भाई का शव तक बरामद नहीं कर पाई है. हमें पुलिस पर भरोसा नहीं रहा है, इस मामले में सीबीआई जांच शुरू होनी चाहिए.


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आपको बता दें कि संजीत यादव का 22 जून को अपहरण हुआ था और 29 जून को अपहरणकर्ताओं ने उसके परिजनों के पास फोन कर 30 लाख रुपए फिरौती की मांग की थी. मृतक संजीत की बहन रुचि के मुताबिक परिजनों ने पुलिस की मौजूदगी में 30 लाख की फिरौती दी थी. इसके बादवजूद पुलिस न तो संजीत यादव की बरामदगी कर सकी और न ही अपहरणकर्ताओं को पकड़ पाई. पैसे अलग से चले गए.


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बीते 21 जुलाई को पुलिस ने संजीत यादव अपहरण केस में उसके दो दोस्तों को ​हिरासत में लिया था. पूछताछ में दोनों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने 26 जून को ही संजीत की हत्या कर लाश पांडु नदी में फेंक दिया था. पुलिस ने पांडु नदी में शव की तलाश में गोताखोरों की मदद से लगातार सर्च ऑपरेशन चलाया, लेकिन संजीत का शव बरामद नहीं किया जा सका. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए. इसके बाद 1 आईपीएस समेत 11 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया.


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