International Tigers Day: 12 साल में बाघों की संख्या दोगुनी करने का था लक्ष्य, यूपी में आई क्या परेशानी?
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand952644

International Tigers Day: 12 साल में बाघों की संख्या दोगुनी करने का था लक्ष्य, यूपी में आई क्या परेशानी?

पिछले सालों में बाघों की मौत की कई वजहें सामने आई हैं. रोड एक्सीडेंट, आपसी संघर्ष, इंसानी संघर्ष और टाइगर हंटिंग की वजह से कई बाघों की जानें चली गईं...

फाइल फोटो.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में टाइगर्स की संख्या बढ़ाने के लिए फॉरेस्ट विभाग काफी समय से प्रयासरत है. राज्य में बाघों के सुरक्षित रहने के लिए दो टाइगर रिजर्व हैं- दुधवा और पीलीभीत. जानकारी के मुताबिक, पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पिछले चार सालों में बाघ दोगुने से ज्यादा हो गए हैं, जो खुशी की बात है. आज, 29 जुलाई इंटरनेशनल टाइगर्स डे है. साल 2010 से बाघों के संरक्षण और लोगों को इस बात के लिए जागरूक करने के लिए दिन मनाया जाने लगा. उस समय (यानी 11 साल पहले) यह लक्ष्य रखा गया था कि साल 2022 में टाइगर्स की संख्या दोगुनी करनी है...

इस टारगेट को पूरा करने के लिए हमारे पास बस एक ही साल बचा है. अब जरूरी है कि हम स्थिति जान लें. बता दें, साल 2010 में देशभर में बाघों की संख्या 1706 थी, जिसमें यूपी में 118 और उत्तराखंड में 227 बाघ थे. साल 2018 में देशभर में बाघ 2976 हो गए थे उत्तराखंड में 442 और यूपी में 173 बाघ थे. जाहिर है, 2021 में यह संख्या कुछ और बढ़ी होगी. इस हिसाब से उत्तराखंड में टाइगर कंजर्वेशन की स्पीड तो सही है, लेकिन यूपी थोड़ा सा पीछ चल रहा है. 

यूपी में दो टाइगर रिज़र्व
उत्तर प्रदेश में बाघों की संख्या में वैसी बढ़ोतरी नहीं हुई, जैसी उत्तराखंड में हुई है. बता दें, दुधवा और पीलीभीत में दो टाइगर रिजर्व हैं. पीलीभीत में साल 2014 से 2018 में यह संख्या 25 से 65 हो गई. वहीं, बताया जा रहा है कि दुधवा में भी टाइगर्स की संख्या बढ़ाने का स्कोप है. इसके लिए थोड़ी और कोशिश करनी होगी.

बाघों की मौत की वजह से भी नहीं बढ़ सकी संख्या
पिछले सालों में बाघों की मौत की कई वजहें सामने आई हैं. रोड एक्सीडेंट, आपसी संघर्ष, इंसानी संघर्ष और टाइगर हंटिंग की वजह से कई बाघों की जानें चली गईं. वहीं, बाघों के लिए इलाके कम होते जा रहे हैं, जिस वजह से वह एक जगह सिकुड़ कर रहने पर मजबूर हो गए हैं. यह भी एक बड़ी चुनौती है. इसीलिए अब टाइगर रिजर्व को कॉरीडोर के जरिये आपस में जोड़ने का काम किया जा रहा है. इससे बाघ एक से दूसरी जगह आ-जा सकेंगे. वहीं, इंसानी इलाकों में आकर किसी दुर्घटना से मरने की संभावना भी कम हो जाएगी.

WATCH LIVE TV

Trending news