गुजरात से दिल्ली तक PM मोदी के साथ रहे, IAS की नौकरी छोड़ BJP में आए, जानिए कौन हैं AK शर्मा
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गुजरात से दिल्ली तक PM मोदी के साथ रहे, IAS की नौकरी छोड़ BJP में आए, जानिए कौन हैं AK शर्मा

अरविंद शर्मा गुजरात 1988 बैच के गुजरात कैडर के IAS अधिकारी रहे. स्वेच्छा से रिटायरमेंट लेने के बाद यूपी विधान परिषद चुनावों के ठीक पहले वह बीजेपी में शामिल हुए थे. 

गुजरात से दिल्ली तक PM मोदी के साथ रहे, IAS की नौकरी छोड़ BJP में आए, जानिए कौन हैं AK शर्मा

लखनऊ: योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अटकलें लगाई रही हैं. इसमें एक शख्स जिसके योगी कैबिनेट में शामिल होने की की चर्चा है, वो हैं ए.के शर्मा. जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सिपाहसलार माना जाता है. पिछले बीस सालों में पीएम मोदी से उनका रिश्ता आज भी ठीक वैसा ही कायम है. ए.के शर्मा स्वेच्छा से रिटायरमेंट लेने के बाद यूपी विधान परिषद चुनावों के ठीक पहले बीजेपी में शामिल हुए थे. जो वर्तमान में बीजेपी  MLC हैं. आइए जानते हैं उनके बारे में. 

अरविंद शर्मा गुजरात 1988 बैच के गुजरात कैडर के IAS अधिकारी रहे. वह यूपी के मऊ के रहने वाले हैं. उन्होंने यहीं गांव के स्कूल से प्राथमिक पढ़ाई करने के बाद डीएवी इंटर कॉलेज से इंटर पास किया. जिसके बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और पोस्ट-ग्रैजुएशन और पीएचडी भी की. फिर IAS बने. 

पीएम मोदी के माने जाते हैं बेहद करीबी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एके शर्मा के बीच बेहद अच्छा तालमेल है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नरेंद्र मोदी कहीं गए हों, वह अपने साथ अरविंद शर्मा को भी ले गए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एके शर्मा को नरेंद्र मोदी के करीब लाने वाले हर्षद ब्रह्मभट्ट हैं. जिनकी सिफारिश पर  उनकी नियुक्ति बतौर सचिव मुख्यमंत्री सचिवालय में हुई. और यहीं से अरविंद शर्मा और नरेंद्र मोदी के बीच एक अटूट रिश्ता शुरू हुआ. 

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कई मौकों पर पर बने 'तुरुप का इक्का'
बतौर IAS एके शर्मा ने अपने कार्यकाल के समय ऐसे काम किए, जिनकी वजह से उनका खूब तारीफ हुई. पहला है जब टाटा को फैक्ट्री लगाने के लिए  साणंद में नया प्लांट खोलना था. लेकिन साणंद में जमीन का मिलना बेहद मुश्किल था. जिसे निपटाने का जिम्मा उन्हें मिला. पेचीदा माने जा रहे मामले को बेहद कम समय में उन्होंने निपटा दिया और टाटा की फैक्ट्री लग गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2001 में भुज में आए भूकंप में राहत कार्य में उन्होंने नरेंद्र मोदी  की खूब मदद की. तीसरा उनकी भूमिका निवेशकों को लुभाने के लिए साल 2003 में शुरू हुए वाइब्रेंट गुजरात की योजना बनाने में  मानी जाती है. 

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी रहे साथ 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान नरेंद्र मोदी देश विदेश के जितने भी दौरों पर गए, अरविंद शर्मा उनके साथ जरूर मौजूद रहे. यहां तक की नरेंद्र कानूनी पचड़ों में फ़ंसे तब भी उनकी मदद अरविंद शर्मा ने की. 16 मई 2014 को जब यह तय हुआ कि नरेंद्र मोदी अगले प्रधानमंत्री बनेंगे. उसके अगले ही दिन यानी 17 मई को नरेंद्र मोदी ने अरविंद कुमार शर्मा को फोन कर कहा कि आपको मेरे साथ दिल्ली चलना है. 

अमेरिका से रिश्ते सुधाने में निभाई भूमिका 
2002 में गुजरात दंगों की वजह से नरेंद्र मोदी और अमेरिका के बीच संबंध अच्छे नहीं थे. वीजा पर रोक की वजह से वह काफी समय तक अमरीका नहीं जा सके थे. लेकिन कहा जाता है कि अरविंद शर्मा नें दोनों के बीच के रिश्ते को ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वह साल 2014 में अमरीकी ऐम्बैसडर नैन्सी पावल गांधीनगर लेकर आए थे. जिसके बाद चीजें ठीक होना शुरू हो गईं. 

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