मथुरा के पेड़े खाकर भूल जाएंगे मिठाई और सोनपापड़ी, जानिए भगवान कृष्ण से जुड़ा इसका इतिहास
भगवान कृष्ण की मां यशोदा ने दूध को उबालने के लिए रखा था, वो इसे रखकर भूल गईं और दूध बहुत ही गाढ़ा होकर जल गया. तब मां ने उसमें बूरा मिलाकर पेड़े बना दिए और कान्हा को खिला दिए. कान्हा को ये बहुत पसंद आए और तब से ही मथुरा में पेड़े बनने का चलन हो गया.
Taste of Mathura: मथुरा का पेड़ा! आपने नाम तो सुना ही होगा और आपने खाया भी होगा. श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा पेड़े के लिए भी जानी जाती है. यहां के पेड़े (mathura ka peda) से अच्छे और स्वादिष्ट पेड़े दुनियां भर में कहीं भी नहीं मिलते. आप यदि पारंपरिक मथुरा जी के पेड़े (Mathura ke Pede) का एक टुकड़ा भी चखते हैं तो कम से कम चार पेड़े से कम खाकर तो रह ही नहीं पायेंगे. मथुरा के पेड़े का नाम सुनकर मुंह में पानी आना स्वाभाविक है, है ना? तो आज हम आपको मथुरा ले चलते हैं.
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कृष्ण जन्मभूमि मथुरा में पेड़ा लोकप्रिय प्रसाद है. पेड़े को ताजे मावे, दूध, चीनी व घी में सुवास हेतु कालीमिर्च चूर्ण मिलाकर बनाया जाता है. भारत में जन्माष्टमी पेड़े के स्वाद के बिना अधूरी मानी जाती हैं. हर साल जन्माष्टमी पर पेड़े बनते हैं जिनसे भगवान कृष्ण को भोग लगाया जाता है. ये भगवान का प्रिय भोग माना जाता है.
मथुरा के पेड़े स्थानीय और पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय
मथुरा के पेड़े न केवल आपको मथुरा शहर के अंदर मिलेंगे बल्कि अगर आप मथुरा होकर ट्रेन से कहीं जा रहे हैं तो मथुरा स्टेशन पर भी आपको पेड़े मिल जाएंगे. ये पेड़े दूध, चीनी और घी से बनाए जाते हैं. मथुरा यात्रा पर इनका स्वाद चखने के साथ आप इन्हे घर भी ले जा सकते हैं. यह पेड़े स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है. यहीं नहीं विदेश से आने वाले श्रद्धालु भी यहां के पेड़े अपने साथ ले जाते हैं.
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भारतीय गायन में भी है मथुरा के पेड़ों का स्वाद
भारतीय लोक गायन में भी मथुरा के पेड़ों का स्वाद देखने को मिलता है. "मथुरा के पेड़े मोहे लावे, खिलावे जी......" संद पूजन गीत के रूप में अति लोकप्रिय है
ये है मथुरा के पेड़े की सबसे मशहूर दुकान
मथुरा में बृजवासी मिठाई वाला और बृजवासी पेड़े वाले की दुकान पेड़ों के लिए बहुत फेमस है. तो आप जब कभी यहाँ आए तो यहां के व्यंजनों का स्वाद ज़रूर लें. मथुरा के पेड़े नहीं खाए, तो आपका यहाँ आना सफल नहीं माना जाता.
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कहां से खरीद सकते हैं- बृजवासी मिठाई वाला, शंकर मिठाई वाला, बृजवासी पेड़े वाले
ये भी कथा है प्रचलित
ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण की मां यशोदा ने दूध को उबालने के लिए रखा था, वो इसे रखकर भूल गईं और दूध बहुत ही गाढ़ा होकर जल गया. तब मां ने उसमें बूरा मिलाकर पेड़े बना दिए और कान्हा को खिला दिए. कान्हा को ये बहुत पसंद आए और तब से ही मथुरा में पेड़े बनने का चलन हो गया. ऐसा भी कहा जाता है कि यहां पर दूध की अधिकता है, यहां पर मिलने वाला दूध बहुत अच्छा होता है इसलिए पेड़ों में काफी स्वाद होता है.
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मथुरा भारत का प्राचीन नगर
उत्तर प्रदेश के मथुरा (Mathura) भारत का प्राचीन नगर है. यहां पर से 500 ईसा पूर्व के प्राचीन अवशेष मिले हैं, जिससे इसकी प्राचीनता सिद्ध होती है. उस काल में शूरसेन देश की यह राजधानी हुआ करती थी. पौराणिक साहित्य में मथुरा को अनेक नामों से संबोधित किया जाता था.
धार्मिक मान्यताओं की मानें तो भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था. पिता का नाम वासुदेव और माता का नाम देवकी. दोनों को ही कंस ने कारागार में डाल दिया था. उस काल में मथुरा का राजा कंस था, जो श्रीकृष्ण का मामा था. आज यह धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है.
कैसे पहुंचे !
मथुरा सभी महानगरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. आप मथुरा रेलवे स्टेशन बस या ट्रेन से पहुंच सकते हैं.
कब जाएं !
आप जनवरी से अप्रैल के बीच मथुरा घूम सकते हैं. अक्टूबर से नवम्बर का महीना भी यहां घूमने के लिए ठीक है.
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