ताजमहल से भी पुराना है पेठे का इतिहास, जानिए मुमताज ने क्यों किया शाही रसोई में शामिल?
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ताजमहल से भी पुराना है पेठे का इतिहास, जानिए मुमताज ने क्यों किया शाही रसोई में शामिल?

पेठा और ताजमहल दोनों एक दूसरे जुड़े हुए हैं. कहते हैं कि पेठा ताजमहल से भी पुराना है. इतिहासकारों के अनुसार, 17वीं शताब्दी में जब शाहजहां ताजमहल का निर्माण कर रहे थे, तब उसके निर्माण में लगे कारीगर रोज़ाना एक जैसा खाना खाकर उकता गए थे.  

आगरा का पेठा

AGRA SWEET PETHA: आगरा पहचानों का शहर है. इस शहर की कई छोटी-बड़ी पहचान हैं. ताजमहल तो जग जाहिर है. बाकी पहचान छोटी पड़ जाती हैं. लेकिन आपके पेट से जुड़ने वाली एक पहचान बाकी है. वो है पेठे की पहचान है. पेठा मशहूर है और स्वादिष्ट भी. आगरा आने वाले पर्यटक चाहे विदेशी हों या घरेलू, पेठे का स्वाद लिए बिना अपनी यात्रा को अधूरा मानते हैं. वे वापसी में पेठा अपने साथ ले जाना नहीं भूलते.

आगरा को ''ताज नगरी' के अलावा 'पेठा नगरी' भी कहा जाता है. जो भी शख़्स आगरा जाता है, तो वहां से इस लज़ीज़ मिठाई को लिए बिना वापस नहीं लौटता. यही वजह है कि आगरा को 'ताज नगरी' के साथ साथ 'पेठा नगरी' के रूप में भी जाना जाता है. चलिए इसी बात पर आज जानते हैं कि पेठा का इतिहास कितना पुराना है और कब पहली बार इसे बनाया गया था. 

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ताजमहल से भी पुरानी है पेठे की मिठाई
पेठा और ताजमहल दोनों एक दूसरे जुड़े हुए हैं. कहते हैं कि पेठा ताजमहल से भी पुराना है. इतिहासकारों के अनुसार, 17वीं शताब्दी में जब शाहजहां ताजमहल का निर्माण कर रहे थे, तब उसके निर्माण में लगे कारीगर रोज़ाना एक जैसा खाना खाकर उकता गए थे.  

ताजमहल निर्माण के दौरान मजदरों ने बनाया पेठा
किवदंती है कि साल 1632 में ताज महल का निर्माण शुरू हुआ था उस समय भीषण गर्मी में करीब 20 हजार मजदूर पत्‍थरों के बीच में काम करके बुरी तरह थक जाते थे. तब इससे निजात पाने के लिए पेठे की मदद ली गई थी. गर्मी में मजदूरों के लिए सस्‍ता और तुरंत एनर्जी देने की वजह से पेठा आगरा की शान बन गया.

ताज महल का निर्माण साल 1653 में खत्म हो गया. तब पेठे के कारीगरों ने इसे अपना बिजनेस बना लिया और उसके बाद से ही पेठे की मिठास पूरे देश में फैल गई और इसे पूरे देश में बनाया और बेचा जाने लगा. कुछ लोगों का मानना है कि प्राचीन काल में पेठे की मिठाई का इस्तेमाल औषधी के रूप में किया जाता था. 

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शाहजहां की बेग़म मुमताज को भी पसंद था पेठा 
इससे जुड़ी एक और कहानी है. इसके अनुसार शाहजहां की बेग़म मुमताज को पेठा बहुत पसंद था. खुद मुमताज ने उन्हें अपने हाथों से पेठा बनाकर खिलाया था. मुगल बादशाह को पेठे की मिठाई बहुत पसंद आई और उन्होंने अपनी शाही रसोई में इसे बनाने का ऐलान कर दिया था. इसके बाद खुद शाहजहां 500 कारीगरों के माध्यम से अपनी रसोई में पेठा बनवाने लगे.

भले ही इस कहानी का कोई ऐतिहासिक महत्व नहीं हो पर आगरा के पेठे कारीगरों की मानें तो यह कहानी उनके लिए किसी इतिहास से कम भी नहीं है. पीढ़ी दर पीढ़ी यह कहानियां उनके परिवार में सुनी और सुनाई जाती हैं.

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बाजार में अलग अलग स्वाद के पेठों की बिक्री होती है जैसे अंगूरी, इलायची, चॉकलेट, गुलाब लड्डू, डोडा बर्फी, पान, केसर आदि. सभी पेठों को बनाने की अलग विधि होती है.

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ऐसे तैयार किया जाता है पेठा
पेठा कुम्हड़ा नाम के फल से बनता है. इसे आम बोलचाल की भाषा में कच्‍चा पेठा कहते हैं. इस पेठे को आगरा के ग्रामीण इलाकों और औरेया में उगाया जाता है. सादा पेठा बनाने में करीब 20 से 25 रुपये प्रति किलोग्राम की लागत आती है. पेठा बनाने के लिए इस फल को चार टुकड़ों में काटकर बीच का हिस्‍सा निकाल दिया जाता है. बाकि बचे हिस्‍से को नुकीले औजार से गूंदा जाता है.

इसके बाद सांचों की मदद से तरह-तरह के आकार दिए जाते हैं. फि‍र चूने के पानी में करीब एक घंटे तक रखा जाता है, तब इसे उबाला जाता है. उबलते पानी में थोड़ी फिटकरी डाली जाती है, ताकि चूने का अंश न रह जाए. बाद में इसे चीनी की चाशनी में घोलकर फिर से उबाल लिया जाता है.  सूखा पेठा बनाने के लिए इसे सुखा लिया जाता है और गीला बनाने के लिए चाशनी को रहने दिया जाता है.

 

ये हैं आगरा के सबसे महंगे पेठे
पान पेठा
पान पेठा यहां का सबसे महंगा पेठा है और ये खासतौर पर पान के शौकीन लोगों के लिए है. इसकी कीमत 200 से 300 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास है. पान शेप के इस पेठे में गुलकंद और कई मसाले डाले जाते हैं. यह पेठा केवल एक-दो दिन रखा जा सकता है, इसलिए इसे सिर्फ शादी या पार्टी में ही ज्यादा रखा जाता है. 

पेठा सैंडविच 
केसरिया रंग का यह पेठा 180 से 250 रुपये प्रति किलोग्राम बिकता है. पेठे को काजू, किशमिश, चिरोंजी के  पेस्ट से तैयार किया जाता है. यही वजह है कि इसके बनाने में लागत बढ़ जाती है. इस पेठे को एक सप्‍ताह तक रखा जा सकता है. पेठे का एक्‍सपोर्ट बाहर के देशों में किया जाता है. बता दें कि पेठा सैंडविच को बनाने की शुरुआत 1958 में हुई थी. 

आगरा में पेठा कहां खरीदें?
शहर में हर जगह पर पेठा की दुकानें देखने को मिल जाएंगी. आंकड़ों के मुताबिक लगभग 5000 से ज्यादा फुटकर विक्रेता हैं. लेकिन कुछ दुकानें काफ़ी प्रचलित है. इनमे से एक है पंछी पेठा. 
 
आगरा का पंछी पेठा सबसे पुरानी दुकान
यह आगरा की सबसे पुरानी दुकान बताई जाती है. इसकी शुरुआत सन् 1926 ईस्वी में माननीय स्वर्गीय पंचम लाल गोयल (पंछी लाल जी) ने एक छोटे सी दुकान ” पंछी पेठा भंडार ” के नाम से शुरू की थी. आज शहर में इनके कई आउटलेट हैं. 1971 में ये “पंछी पेठा स्टोर” हुआ और फिर “पंछी फूड प्राइवेट लिमिटेड” नाम से कंपनी स्थापित हुई तबसे इसका नाम “पंछी पेठा” है. नूरी दरवाज़ा के पास स्थित दुकान इस मिठाई की सबसे प्राचीन और पहली दुकान है. आगरा में आप हर जगह पर पंछी पेठा नामक दुकानें देखेंगे, पर ध्यान रहे इनकी वास्तविक दुकानें मात्र 6 हैं. 

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