कोरोना से जुड़ा वह हर सवाल जो आपको कर रहा परेशान, एक्सपर्ट से समझिए यहां
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कोरोना से जुड़ा वह हर सवाल जो आपको कर रहा परेशान, एक्सपर्ट से समझिए यहां

हमने कोरोनावायरस एक्सपर्ट डॉ. मीनाक्षी जैन से बात की और जनता द्वारा पूछे गए सवाल उनके सामने रखे. डॉ. मीनाक्षी जैन ने भी बड़े सरल शब्दों में जवाब देकर हमारा कंफ्यूजन दूर करने की पूरी कोशिश की है. जानें डॉक्टर ने क्या बताया...

फाइल फोटो

निमिषा श्रीवास्तव/नई दिल्ली: कोरोना महामारी का लोगों में इतना खौफ है कि वे समझ नहीं पा रहे किसपर भरोसा करना चाहिए, किसपर नहीं. इंटरनेट पर हजार तरह की चीजें पब्लिश कर दी गई हैं. जिसे जो समझ आया वह लिखता चला गया. इनमें से कितना सही है, कितना गलत इस बात का कोई प्रूफ नहीं है. लेकिन आज ज़ी उत्तर प्रदेश उत्तराखंड अपनी वेबसाइट के माध्यम से आप तक सही और सटीक जानकारी पहुंचा रहा है. 

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इसके लिए हमने कोरोनावायरस एक्सपर्ट डॉ. मीनाक्षी जैन से बात की और जनता द्वारा पूछे गए सवाल उनके सामने रखे. डॉ. मीनाक्षी जैन ने भी बड़े सरल शब्दों में जवाब देकर हमारा कंफ्यूजन दूर करने की पूरी कोशिश की है. आपको बता दें डॉ. मीनाक्षी जैन Max Hospital, पटपड़गंज में इंटर्नल मेडिसिन डिपार्टमेंट की डायरेक्टर हैं. वह लगातार कोरोनावायरस की स्टडी कर रही हैं और अभी तक वायरस को लेकर जितनी भी बातें सामने आई हैं, डॉ. जैन ने उस हर पहलू की अहम जानकारी हमसे शेयर की है. 

ये हैं आपके कुछ सवाल जिनका जवाब लेकर आए हैं हम...

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हर वैक्सीन की एक लिमिट होती है. आज तक जितनी भी वैक्सीन बनी हैं, किसी ने भी 100% प्रोटेक्शन का दावा नहीं किया है. जैसे हम TB की वैक्सीन लेते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि लोगों को टीबी ही नहीं होता. हालांकि, याद रखना जरूरी है कि वैक्सीन का एक सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसके बाद बीमारी जानलेवा नहीं रह जाती.

कोविशील्ड वैक्सीन भी 70% इफेक्टिव है. यानी 30% केस में लोगों को कोरोना होने के चांस हैं. लेकिन जिन्होंने वैक्सीन ली है, उनके लिए ये बीमारी डेडली नहीं होगी. वेंटिलेटर पर आने के चांस जीरो हो जाएंगे.

इसके अलावा वैक्सीन दोनों डोज लेने के बाद ही प्रभावी होती है. ऐसा नहीं है कि एक डोज ले लिया तो अब कोरोना खत्म हो जाएगा. सेफ्टी अभी भी रखना बहुत जरूरी है. साथ ही, दूसरी डोज लेने के कुछ दिन बाद ही एंटीबॉडी पूरी तरीके से बन पाएंगी. इसके साथ ही, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान बेहद जरूरी है. इसके अलावा, 70% चांस ये भी है कि आपको बीमारी नहीं होगी.

 

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जब भी कोई नया वायरस आता है या जब किसी नए वायरस से एपिडेमिक शुरू होता है, तो उसे पूरी तरह से खत्म होने में 3 से 5 साल लग जाते हैं. तो अभी चांस हैं कि ये 2 से 3 साल तक चलता रहेगा. इसके अलावा, हर पैनडेमिक में कर्व आता रहता है, जिसे हम वेव कहते हैं. ऐसे ही कई वेव आने के बाद महामारी मरने लगती है. हो सकता है इसके 3 वेव आए, हो सकता है 4 से ज्यादा भी आएं. लेकिन कुछ साल में ये पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. लोगों के अंदर इम्यूनिटी आ जाएगी. 

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डॉ. मीनाक्षी जैन बताती हैं कि कोरोना की दूसरी वेव इसलिए आई है, क्योंकि लोगों ने एकदम से बाहर आना शुरू कर दिया. लॉकडाउन लगने से कोरोना को काफी हद तक कंट्रोल कर लिया गया था. लेकन फिर लोगों ने बिंदास घूमना शुरू कर दिया. गोवा, वैष्णो देवी, पहाड़ों पर घूमने के लिए लोग निकलने लगे. पूरे-पूरे परिवार और रिश्तेदार एक साथ घूमने लगे. लॉकडाउन के बाद तो लोग प्रीकॉशन के साथ घूम रहे थे, लेकिन धीरे-धीरे लोगों ने लापरवाही बरतनी शुरू कर दी और कोरोना की दूसरी लहर को रास्ता मिल गया आक्रामक होने का.

 

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लूज मोशन, वॉमिटिंग, माउथ अल्सर भी नए सिंपटम हैं. लेकिन सिर्फ एक सिंपटम की वजह से घबराएं नहीं. ये सारी चीजें मौसम बदलने की वजह से या पानी की कमी की वजह से भी होती हैं. ऐसे में अगर आपको इन नए सिंपटम्स के साथ फीवर, कमजोरी या बदन दर्द की भी शिकायत है तो डॉक्टर्स की सलाह जरूर लें. घर में बैठकर अपने मन से दवाई लेना न शुरू कर दें. 

 

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अगर शासन या प्रशासन जनता पर पाबंदी नहीं लगाता है, तो उन्हें लगने लगता है कि कुछ हुआ ही नहीं है, सब नॉर्मल है. जैसे कि अगर पुलिस मास्क पर फाइन न लगाए तो लोग मास्क लगाना बंद कर देंगे. इसलिए नाइट कर्फ्यू लगाने का एक मेन कारण ये है कि लोगों के दिमाग में रहे कि सरकार ने पाबंदी लगाई है तो इसके पीछे कोई बड़ी वजह है. इससे अवेयरनेस क्रिएट होती है. इसके अलावा, नाइट कर्फ्यू से अनावश्यक भीड़ , जैसे पार्टी क्राउड को रोका जा सकता है. ऑफिस के बाद लोग मैक्सीमम 9.00 बजे तक घर वापस आ जाते हैं. इसके बाद अगर कोई घर से बाहर निकल रहा है तो चांस है कि वह अनावश्यक कारण होगा.

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डॉ. जैन ने बताया है कि आपकी जो दवाइयां जैसी चल रही हैं वैसी ही चलती रहेंगी. टीके का इसपर कोई असर नहीं होगा. कोई दवा बंद नहीं करनी है. हालांकि, जिन लोगों को क्लॉटिंग डिसऑर्डर है या सांस की कोई बीमारी है, उन्हें अपने डॉक्टर से जरूर कंसल्ट कर लेना चाहिए. बाकी डायबिटीज या बीपी वाले लोग या बिना चिंता के वैक्सीन ले सकते हैं. 

 

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कोरोना की तीसरी वेव आने के बिल्कुल चांस हैं. ज्यादातर वायरस तीन-चार वेव आने के बाद ही खत्म होते हैं. ऐसे में अभी लोगों को वैक्सीन दी जा रही है. लेकिन जब हमारी बॉडी में एंटी बॉडी की संख्या कम होने लगेगी, तो तीसरी लहर भी आ सकती है. क्योंकि वायरस भी समय के साथ स्मार्ट हो जाते हैं, खुद में ही म्यूटेट करते हैं. इसलिए दूसरी वेव जाने के बाद दोबारा लापरवाही नहीं बरतनी है, बल्कि हमेशा सतर्क रहना है. हो सकता है समय के साथ वायरस और आक्रामक भी हो जाए.

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फ्लू की जब भी कोई वैक्सीन बनती है तो हर साल उसका नया शॉट आता है. क्योंकि फ्लू का स्ट्रेन हर साल चेंज होता रहता है, इसलिए वैक्सीन भी चेंज होती है. ऐसे ही वायरस का जीनोम भी चेंज होता रहता है. इसलिए हो सकता है कि हर साल वैक्सीन में नए बदलाव किए जाएं.

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हर देश का हाल भारत जैसा ही है. ज्यादातर देशों में दूसरी लहर आ चुकी है या आ रही है. जहां-जहां लापरवाही बरती गई है, वहां लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. किसी भी देश के लिए बेस्ट ऑप्शन ये है कि पहले पूरी जनता को वैक्सीनेट किया जाए और फिर देश खोला जाए. लेकिन ये किसी भी देश के लिए संभव नहीं है. इसलिए हर देश अपने हिसाब से कोरोना वायरस से लड़ रहा है. 

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अगर आपकी बीमारी स्टेबल है, तो आपको वैक्सीन जरूर लेनी चाहिए. हालांकि, जिनकी डायलिसिस चल रही है, उनमें हो सकता है कि एंटीबॉडी रिस्पॉन्स उतना अच्छा नहीं आएगा. लेकिन वैक्सीन से सेफ्टी जरूर मिलेगी. अगर आप किसी और बीमारी से भी ग्रस्त हैं तो भी कोरोना होने के उतने ही चांस हैं, जितना स्वस्थ लोगों को है. इसलिए सावधानी सबको ही बरतनी है.  

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 मास्क लगाना सबसे कारगर है. स्वस्थ होने के बाद भी लोगों से दूरी रहें और दूरी बना कर रखें.

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