Mukhtar Ansari News: मुख्तार पर क्यों मेहरबान थे मुलायम-मायावती, 34 साल मौज काटने वाले माफिया पर योगी सरकार ने कसा शिकंजा
Mukhtar Ansari Political Journey: माफिया मुख्तार अंसारी का जुर्म की दुनिया ही नहीं बल्कि राजनीति में भी रसूख रहा. एक समय मुख्तार की गिनती प्रभावशाली नेताओं में होती थी. वह समाजवादी पार्टी के पूर्व संरक्षक मुलायम सिंह यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती का भी करीबी रहा.
Mukhtar ansari political career: माफिया मुख्तार अंसारी का दिल का दौरा पड़ने से गुरुवार को निधन हो गया. जरायम की दुनिया में ही नहीं बल्कि राजनीति में भी मुख्तार अंसारी का रसूख रहा. करीब 30 साल पहले राजनीति में कदम रखने वाले मुख्तार की गिनती देखते ही देखते प्रभावशाली नेताओं में होने लगी. प्रदेश में सरकार बसपा की हो या सपा की, मुख्तार की तूती दोनों में बोलती रही. समाजवादी पार्टी के पूर्व संरक्षक मुलायम सिंह यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती का भी खास करीबी रहे.
माफिया मुख्तार अंसारी का दिल का दौरा पड़ने से गुरुवार को निधन हो गया. जरायम की दुनिया में ही नहीं बल्कि राजनीति में भी मुख्तार अंसारी का रसूख रहा. करीब 30 साल पहले राजनीति में कदम रखने वाले मुख्तार की गिनती देखते ही देखते प्रभावशाली नेताओं में होने लगी. प्रदेश में सरकार बसपा की हो या सपा की, मुख्तार की तूती दोनों में बोलती रही. समाजवादी पार्टी के पूर्व संरक्षक मुलायम सिंह यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती का भी खास करीबी रहे.
5 बार रहा विधायक
मुख्तार अंसारी 5 बार विधायक बने. पहली बार मऊ सदर विधानसभा से मुख्तार ने 1996 में बसपा के टिकट पर जीत हासिल की थी. इसके बाद वर्ष 2002 और 2007 में वह निर्दलीय विधायक बना. बसपा से निकाले जाने के बाद मुख्तार ने कौमी एकता दल के नाम से अपनी पार्टी
बनाई थी. 2012 में कौमी एकता दल से ही विधानसभा चुनाव मुख्तार ने जीता था. 2017 में भी मुख्तार अंसारी ने फिर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बना. 2009 के लोकसभा चुनाव में मुख्तार ने वाराणसी से भाजपा के डॉ मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ चुनाव लड़ा था लेकिन करीब 17000 वोटो से हार गया.
सपा-बसपा नेताओं का करीबी
मुख्तार अंसारी औरअफजाल अंसारी दोनों मायावती और मुलायम सिंह के करीब रहे. समय समय पर सपा-बसपा का साथ सियासी पारी खेलते रहे. 2024 लोकसभा चुनाव में सपा ने अफजाल अंसारी को गाजीपुर से उम्मीदवार बनाया है. इससे पहले वह 2019 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीते थे. सपा और बसपा के साथ जब बात नहीं बनी तो खुद की पार्टी बना ली थी,जिसका नाम रखा कौमी एकता दल.
मायवती ने बताया गरीबों का महीसा
बसपा प्रमुख मायावती ने मुख्तार अंसारी को गरीबों का मसीहा बताया था. आराधिक पृष्ठभूमि का बचाव करते हुए मायवती कने कहा कि उनके परिवार के सदस्यों ने देश की सेवा की है. शहीद हुए हैं. साथ ही उन पर दर्ज मुकदमों को षड्यंत्र का हिस्सा बताते हुए फर्जी करार दिया था. हालांकि बाद में मायवती ने मुख्तार को बसपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया.
सपा सरकार में भी बोलती थी तूती
माफिया मुख्तार अंसारी का साल 2006 में समाजवादी पार्टी सरकार में भी दबदबा था. समाजवादी पार्टी के पूर्व संरक्षक मुलायम सिंह यादव से उसके घनिष्ठ संबंध थे. रसूख के चलते उसने एलएमजी का सौदा कराने के मामले में तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव पर दबाव बनाकर केस को रद्द करा दिया. साथ ही एलएमजी का सौदा करने पर पोटा लगाने वाले पुलिस अधिकारी को नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया था.
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