Pankaj Udhas: निकलो न बेनकाब, जमाना खराब है... पंकज उधास की वो टॉप 10 गजलें जो आज भी हर दिल अजीज हैं
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2129408

Pankaj Udhas: निकलो न बेनकाब, जमाना खराब है... पंकज उधास की वो टॉप 10 गजलें जो आज भी हर दिल अजीज हैं

Pankaj Udhas: मशहूर गजल गायक पंकज उधास का 26 फरवरी यानी आज लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है. वह 72 वर्ष के थे. पंकज उधास के अपनी गायकी का खूब जादू चलाया. पढ़िए उनकी मशहूर गजलें. 

गजल गायक पंकज उधास का निधन.

Pankaj Udhas Top Song and Gazals: अपनी सुरीली आवाज से सभी को दीवाना बना लेने वाले मशहूर गजल गायक पंकज उधास का 26 फरवरी यानी आज लंबी बीमारी के बाद 72 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने मुंबई में अंतिम सांस ली. पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 गुजरात के जेतपुर में हुआ था. उन्होंने कई ऐसे सदाबहार गाने और गजलों के जरिए गायकी का खूब जादू चलाया. आइए आपको उनकी मशहूर गजलों और बेहतरीन गानों के बारे में बताते हैं. 

चांदी जैसी रंग है तेरा
चाँदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल
एक तूही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल
चाँदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल
एक तूही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल
एक तूही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल
जिस रस्ते से तू गुज़रे वो फूलों से भर जाये
जिस रस्ते से तू गुज़रे वो फूलों से भर जाये
तेरे पैर की कोमल आहट सोते भाग जगाये
जो पत्थर छू ले गोरी तू वो हीरा बन जाये
तू जिसको मिल जाए वो
तू जिसको मिल जाए वो, हो जाये मालामाल
एक तूही धनवान है गोरी, बाकी सब कंगाल
चाँदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल
एक तूही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल
जो बे-रंग हो उस पर क्या क्या रंग जमाते लोग
जो बे-रंग हो उस पर क्या क्या रंग जमाते लोग
तू नादान ना जाने कैसे रूप चुराते लोग
नज़रें भर भर देखें तुझको आते जाते लोग
छैल छबीली रानी थोड़ा
छैल छबीली रानी थोड़ा घूँघट और निकाल
एक तूही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल
चाँदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल
एक तूही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल
धनक घटा कलियाँ और तारे सब हैं तेरे रूप
धनक घटा कलियाँ और तारे सब हैं तेरा रूप
ग़ज़लें हों या गीत हों मेरे सब में तेरा रूप
यूँही चमकती रहे हमेशा तेरे हुस्न की धूप
तुझे नज़र ना लगे किसी की
तुझे नज़र ना लगे किसी की, जिये हज़ारों साल
एक तूही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल
चाँदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल
एक तूही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल
चाँदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल
एक तूही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल
एक तूही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल
एक तूही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल

थोड़ी थोड़ी पिया करो 
ये इंतजार गलत है के शाम हो जाये
जो हो सके तो अभी दौर-ए-जाम हो जाये
मुझ जैसे रिंद को भी तूने हश्र मे या रब
बुला लीया है तो, कुछ इंतजाम हो जाये
हुई महँगी बहत ही शराब, के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
पियो लेकिन रखो हिसाब, के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
हुई महँगी बहत ही शराब, के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
गम का दौर हो या हो खुशी, समा बाँधती है शराब
गम का दौर हो या हो खुशी, समा बाँधती है शराब
गम का दौर हो या हो खुशी, समा बाँधती है शराब
एक मशवरा है जनाब के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
हुई महँगी बहत ही शराब, के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
दिल के जख्मो को सीना क्या, पीने के लिये जीना क्या
दिल के जख्मो को सीना क्या, पीने के लिये जीना क्या
दिल के जख्मो को सीना क्या, पीने के लिये जीना क्या
फुक डाले जिगर को शराब के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
हुई महँगी बहत ही शराब, के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
दिलबर की बातो मे नशा, जुल्फों मे नशा आंखो मे नशा
दिलबर की बातो मे नशा, जुल्फों मे नशा आंखो मे नशा
दिलबर की बातो मे नशा, जुल्फों मे नशा आंखो मे नशा
मय से बढ़के उसका शबाब, के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
हुई महँगी बहत ही शराब, के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
पियो लेकिन रखो हिसाब, के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
के थोड़ी-थोड़ी पिया करो
के थोड़ी-थोड़ी पिया करो

चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है, 
चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है वतन से, चिट्ठी आयी है

बड़े दिनों के बाद, हम बेवतनों को याद, बड़े दिनों के बाद, हम बेवतनों को याद
वतन की मिट्टी आई है..ए..चिट्ठी आई है आई है, चिट्ठी आई है, चिट्ठी आई है वतन से, चिट्ठी आयी है

ऊपर मेरा नाम लिखा है,अंदर ये पैगाम लिखा है
ओ परदेस को जाने वाले,लौट के फिर ना आने वाले

सात समुंदर पार गया तू, हमको ज़िंदा मार गया तू
खून के रिश्ते तोड़ गया तू, आँख में आँसू छोड़ गया तू

कम खाते हैं, कम सोते हैं, बहुत ज़्यादा हम रोते हैं
चिट्ठी आई है, चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है वतन से, चिट्ठी आयी है.

निकलो न बेनकाब
बे पर्दा नज़र आई जो कल चंद बिवियाँ
अकबर जमीन में गैरत-ए-कौनी से गड गया
पूछा जो मैने, आपका पर्दा वो क्या हुआ
कहने लगी के, अक्ल पे मर्दों की पड़ गया
निकलो ना बेनकाब
निकलो ना बेनकाब ज़माना ख़राब है
निकलो ना बेनकाब ज़माना ख़राब है
और उसपे ये शबाब जमाना ख़राब है
निकलो ना बेनकाब ज़माना ख़राब है
सब कुछ हमे खबर है नसीहत ना कीजिए
सब कुछ हमे खबर है नसीहत ना कीजिए
सब कुछ हमे खबर है नसीहत ना कीजिए
सब कुछ हमे खबर है नसीहत ना कीजिए
क्या होंगे हम ख़राब ज़माना ख़राब है
क्या होंगे हम ख़राब ज़माना ख़राब है
और उसपे ये शबाब जमाना ख़राब है
निकलो ना बेनकाब ज़माना ख़राब है
मतलब छुपा हुआ है यहाँ हर सवाल में
मतलब छुपा हुआ है यहाँ हर सवाल में
मतलब छुपा हुआ है यहाँ हर सवाल में
मतलब छुपा हुआ है यहाँ हर सवाल में
दूँ सोचकर जवाब जमाना ख़राब है
दूँ सोचकर जवाब जमाना ख़राब है
और उसपे ये शबाब जमाना ख़राब है
निकलो ना बेनकाब ज़माना ख़राब है
राशिद तुम आ गए हो ना आख़िर फरेब में
राशिद तुम आ गए हो ना आख़िर फरेब में
राशिद तुम आ गए हो ना आख़िर फरेब में
राशिद तुम आ गए हो ना आख़िर फरेब में
कहते ना थे जनाब ज़माना ख़राब है
कहते ना थे जनाब ज़माना ख़राब है
और उसपे ये शबाब ज़माना ख़राब है
निकलो ना बेनक़ाब ज़माना ख़राब है
और उसपे ये शबाब ज़माना ख़राब है
निकलो ना बेनक़ाब ज़माना ख़राब है
ज़माना ख़राब है, ज़माना ख़राब है
ज़माना ख़राब है, ज़माना ख़राब है
ज़माना ख़राब है.

दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है
दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे, ऐसा लगता है
दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे, ऐसा लगता है
दीवारों से
दुनिया भर की यादें हमसे मिलने आती हैं
दुनिया भर की यादें हमसे मिलने आती हैं
शाम ढले इस सूने घर में मेला लगता है
शाम ढले इस सूने घर में मेला लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे, ऐसा लगता है
दीवारों से
कितने दिनों के प्यासे होंगे यारों सोचो तो
कितने दिनों के प्यासे होंगे यारों सोचो तो
शबनम का कतरा भी जिनको दरिया लगता है
शबनम का कतरा भी जिनको दरिया लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे, ऐसा लगता है
दीवारों से
किसको कैसर पत्थर मारूं कौन पराया है
किसको कैसर पत्थर मारूं कौन पराया है
शीश-महल में एक एक चेहरा अपना लगता है
शीश-महल में एक एक चेहरा अपना लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे, ऐसा लगता है
दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे, ऐसा लगता है

सब को मालूम है मैं शराबी नहीं
फिर भी कोई पिलाए तो मैं क्या करूँ
सिर्फ़ एक बार नज़रों से नज़रें मिलें
और क़सम टूट जाए तो मैं क्या करूँ

मुझको मयकश समझते हैं सब वादाकश
क्यूँ कि उनकी तरह लड़खड़ाता हूँ मैं
मेरी रग-रग में नशा मुहब्बत का है
जो समझ में ना आए तो मैं क्या करूँ
मैंने मांगी थी मस्ज़िदों में दुआ
मैं जिसे चाहता हूं वो मुझको मिले 
मेरा जो फ़र्ज था मैं पूरा किया 
ग़र ख़ुदा ही न चाहे तो मैं क्या करूं

हाल सुन कर मेरा सहमे-सहमे हैं वो
कोई आया है ज़ुल्फ़ें बिखेरे हुए
मौत और ज़िंदगी दोनों हैरान हैं
दम निकलने न पाए तो मैं क्या करूँ

कैसी लत कैसी चाहत कहाँ की ख़ता
बेखुदी में है अनवर ख़ुदी का नशा
ज़िंदगी एक नशे के सिवा कुछ नहीं
तुम को पीना न आए तो मैं क्या करूँ

एक तरफ उसका घर, एक तरफ मयकदा
ऐ गम-ए-ज़िंदगी कुछ तो दे मशवरा
ऐ गम-ए-ज़िंदगी कुछ तो दे मशवरा
एक तरफ उसका घर, एक तरफ मयकदा
एक तरफ उसका घर, एक तरफ मयकदा
मैं कहाँ जाऊँ होता नहीं फ़ैसला
मैं कहाँ जाऊँ होता नहीं फ़ैसला
एक तरफ उसका घर, एक तरफ मयकदा
एक तरफ उसका घर, एक तरफ मयकदा
ज़िंदगी एक है और तलबगार दो
ज़िंदगी एक है और तलबगार दो
जां अकेली मगर जां के हक़दार दो
ज़िंदगी एक है और तलबगार दो
जां अकेली मगर जां के हक़दार दो
दिल बता पहले किसका करूँ हक अदा
एक तरफ उसका घर, एक तरफ मयकदा
एक तरफ उसका घर, एक तरफ मयकदा
ऐ गम-ए-ज़िंदगी कुछ तो दे मशवरा
ऐ गम-ए-ज़िंदगी कुछ तो दे मशवरा
एक तरफ उसका घर, एक तरफ मयकदा
एक तरफ उसका घर, एक तरफ मयकदा
एक तरफ उसका घर, एक तरफ मयकदा

आप जिनके करीब होते हैं
आप जिनके करीब होते हैं
वो बड़े खुशनसीब होते हैं
आप जिनके करीब होते हैं
आप जिनके करीब होते हैं
जब तबियत किसी पे आती है
जब तबियत किसी पे आती है
मौत के दिन करीब होते हैं
मौत के दिन करीब होते हैं
वो बड़े खुशनसीब होते हैं
आप जिनके करीब होते हैं
मुझसे मिलना फिर आप का मिलना
मुझसे मिलना फिर आप का मिलना
आप किसको नसीब होते हैं
आप किसको नसीब होते हैं
वो बड़े खुशनसीब होते हैं
आप जिनके करीब होते हैं
जुल्म सह कर जो उफ़ नहीं करते
जुल्म सह कर जो उफ़ नहीं करते
उनके दिल भी अजीब होते हैं
उनके दिल भी अजीब होते हैं
वो बड़े खुशनसीब होते हैं
आप जिनके करीब होते हैं
आप जिनके करीब होते हैं

ना कजरे की धार 
ना कजरे की धार, ना मोतियों के हार
ना कोई किया सिंगार, फिर भी कितनी सुंदर हो, तुम कितनी सुन्दर हो

मन में प्यार भरा, और तन में प्यार भरा
जीवन में प्यार भरा, तुम तो मेरे प्रियवर हो, तुम्हीं तो मेरे प्रियवर हो

सिंगार तेरा यौवन, यौवन ही तेरा गहना, तू ताज़गी फूलों की, क्या सादगी का कहना
उड़े खुशबू जब चले तू, बोले तो बजे सितार, ना कजरे की धार...

सारी दुनियाँ हरजाई, तेरे प्यार में हैं सच्चाई, इसलिए छोड़ के दुनिया, तेरी ओर खींची चली आई
थी पत्थर, तूने छूकर, सोना कर दिया खरा, मन में प्यार भरा...

तेरा अंग सच्चा सोना, मुस्कान सच्चे मोती, तेरे होंठ हैं मधुशाला, तू रूप की है ज्योति
तेरी सूरत, जैसे मूरत, मैं देखू बार-बार ना कजरे की धार...

यह भी पढ़ें - मशहूर गजल गायक पंकज उधास का निधन, लंबे समय से थे बीमार

 

Trending news