India biggest tunnel rescue operation:उत्तरकाशी टनल में फंसे मजदूरों के लिए जारी रेस्क्यू ऑपरेशन अब अपने अंतिम पड़ाव में है. मजदूर किसी भी वक्त बाहर आ सकते हैं. उम्मीद की जा रही है कि गुरुवार के दिन वह सही सलामत बाहर निकल आए. देशभर में उनके सही सलामत बाहर निकलने के लिए दुआओं का दौर चल रहा है. इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर देश के प्रधानमंत्री अपनी नजर बनाए रखें हुए है. आज के रेस्क्यू को लेकर पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात की.
वर्ष 2019 में हिमाचल प्रदेश के मनाली में मनाली-लेह राजमार्ग पर निर्माणधीन टनल का एक हिस्सा भरभरा कर गिर गया था. जिसमें फंसे 16 मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई थी.
साल 1992 में उधमपुर जिले के जम्मू- श्रीनगर हाईवे पर निर्माणधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था. जिसमें फंसे 27 मजदूरों की बेहद संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी.
साल 1990 में दार्जिलिंग -रंगीरूंग पर निर्माणधीन टनल के एक हिस्सा के गिरने के वजह से उसमें फंसे 12 मजदूरों मौत हो गई थी.
साल 1989 में शिमला- किन्नौर राजमार्ग पर निर्माणधीन सुरंग के एक हिस्से के ढहने के वजह से इसमें फंसे 11 मजदूरों की बेहद दुखद मौत हो गई थी.
साल 1988 में मुबंई-पुणे एक्सप्रेसवे पर निर्माणाधीन टनल का एक हिस्सा भरभरा के ढह गया. जिसमें फंसे 8 मजदूरों की मौत हो गई थी.
साल 1987 में नीलगिरी माउंटेन रेलवे पर निर्माणधीन टनल के एक हिस्से के गिरने के वजह से 6 मजदूरों की ऑन द स्पॉट मौत हो गई थी.