रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी फिर से जाट+मुस्लिम को समीकरण को साधने के लिए 'भाईचारा जिंदाबाद' कार्यक्रम चलाने का फैसला किया है. मध्य सितंबर के बाद जयंत लखनऊ में 'भाईचारा जिंदाबाद सम्मेलन' करेंगे.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन है. कभी पश्चिमी यूपी के जिलों में रालोद की दमदार उपस्थिति हुआ करती थी. वेस्ट यूपी में रालोद का समीकरण जाट+मुस्लिम मतदाताओं के साथ बनता था. लेकिन सपा शासनकाल में 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों ने जाट और मुस्लिम समुदाय के बीच ऐसी खाई खोदी कि रालोद अपने गढ़ में ही हाशिए पर चला गया.
पश्चिमी यूपी साधने के लिए रालोद और सपा का प्लान
अब रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी फिर से जाट+मुस्लिम को समीकरण को साधने के लिए 'भाईचारा जिंदाबाद' कार्यक्रम चलाने का फैसला किया है. मध्य सितंबर के बाद जयंत लखनऊ में 'भाईचारा जिंदाबाद सम्मेलन' करेंगे. जयंत ने पश्चिमी यूपी में 'भाईचारा जिंदाबाद सम्मेलन' की शुरुआत कर भी दी है. अब तक करीब 300 छोटे-बड़े सम्मेलन पश्चिमी यूपी के गांवो और शहरों में हो चुके हैं. इन सम्मेलनों में सभी जाति और धर्म के लोगों को बुलाया जाता है, ताकि उनके बीच भाईचारा बढ़ाया जा सके. रालोद और सपा का प्लान अब इसे पूरे राज्य में आयोजित करने का है.
रालोद अध्यक्ष जयंत करेंगे 'भाईचारा जिंदाबाद सम्मेलन'
रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 'भाईचारा जिंदाबाद' सिर्फ हिंदू और मुसलमान के लिए नहीं है. हिंदूओं और मुसलमानों में जातिगत विभाजन है, इसे तोड़ने की पहल किसी नेतृत्व को करनी होगी. जयंत चौधरी ने यह प्रयास शुरू किया है. रालोद बंटवारे की सियासत नही करता, हमारी कोशिश सबको जोड़ने की है. बंटवारे की राजनीति करने वालों को यह करारा जवाब होगा. रालोद प्रवक्ता ने कहा कि 'भाईचारा जिंदाबाद' सम्मेलन वेस्ट यूपी के गांवों और शहरों में हो रहा है. इसे भरपूर जन समर्थन भी मिल रहा है. मिड-सितबंर में रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी लखनऊ में एक 'भाईचारा जिंदाबाद सम्मेलन' करेंगे.
पश्चिमी यूपी में जाट+मुस्लिम समीकरण बेहद मजबूत है
वेस्ट यूपी की अधिकांश सीटों पर जाटों का काफी प्रभाव है. पश्चिमी यूपी में मुस्लिम आबादी भी 25 फीसदी के करीब है, जबकि दलितों की आबादी 20 फिसदी के करीब. पश्चिमी यूपी में जाट, मुस्लिम, दलित और यादव का कॉम्बिनेशन मिलकर आबादी का 50 से 55 फिसदी होता है. वर्तमान में यादव तो सपा के साथ हैं लेकिन जाटों का एक बहुत बड़ा वर्ग 2014 से ही भाजपा के साथ है. बीते तीन चुनावों 2014, 2017 और 2019 को देखें तो वेस्ट यूपी में सवर्ण, गैर यादव ओबीसी जातियां और गैर जाटव दलित भी भाजपा को वोट देते आ रहे हैं. इसकी तोड़ के लिए रालोद और सपा की कोशिश जाट+मुस्लिम+यादव समीकरण बनाने की है.
मुजफ्फरनगर दंगों के बाद रालोद पश्चिमी यूपी से साफ
अखिलेश के मुख्यमंत्रित्व काल में मुजफ्फरनगर में अगस्त 2013 में सांप्रदायिक दंगे हुए थे जिसमें 62 लोगों की मौत हुई थी, 93 जख्मी हुए थे. हजारों लोग बेघर हो गए थे. इसके बाद 2014 के लोकसभा, 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव में जाटों का भरपूर समर्थन भाजपा को मिला. जाटों के बड़े नेता माने जाने वाले तत्कालीन रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह, उनके बेटे चौधरी अपने गढ़ बागपत और मथुरा में ही चुनाव हार गए. फिर 2019 लोकसभा चुनाव में चौधरी अजित सिंह को मुजफ्फरनगर से भाजपा के संजीव बालयान के हाथों और जयंत चौधरी को बागपत से सत्यपाल सिंह के हाथों हार मिली.
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