Sankashti Chaturthi 2023: अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत में जरूर करें इस कथा का पाठ, दूर होंगे कष्ट, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं
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Sankashti Chaturthi 2023: अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत में जरूर करें इस कथा का पाठ, दूर होंगे कष्ट, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं

Akhurath Sankashti Chaturthi 2023 Vrat Katha:  अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को होता है. इस साल यह 30 दिसंबर को है. संकष्टी चतुर्थी पर पूजा के बाद नीचे दी गई कथा का पाठ करना शुभ माना जाता है.

 

 

Sankashti Chaturthi 2023: अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत में जरूर करें इस कथा का पाठ, दूर होंगे कष्ट, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं

Akhurath Sankashti Chaturthi 2023 Vrat Katha: पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत होता है. इस साल यह उदयातिथि के अनुसार 30 दिसंबर को होगी. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से और गणेशजी की विधि-विधान से पूजा करने से कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. पौष माह की संकष्टी चतुर्थी पर पूजा के बाद नीचे दी गई कथा का पाठ करना शुभ माना जाता है.

नीचे पढ़िए व्रत कथा
पौष गणेश चौथ व्रत कथा के मुताबिक एक समय रावण ने स्वर्ग के सभी देवताओं को जीत लिया और संध्या करते हुए बालि को पीछे से जाकर पकड़ लिया. वानरराज बालि, रावण को अपनी बगल में दबाकर किष्किन्धा नगरी ले आए और अपने पुत्र अंगद को खेलने के लिए खिलौना की तरह दे दिया. अंगद, रावण को खिलौना समझकर रस्सी से बांधकर इधर-उधर घुमाते रहते थे. इससे रावण को  बेहद ज्यादा पीड़ा होती थी. 

एक दिन रावण ने दुखी मन से पितामह पुलस्त्यजी को याद किया. रावण की यह दशा देखकर पुलस्त्य ऋषि ने पता किया कि रावण की यह दशा क्यों हुई? उन्होंने मन ही मन सोचा घमंड हो जाने पर देव, मनुष्य व असुर सभी की यही गति होती है. पुलस्त्य ऋषि ने रावण से पूछा कि तुमने मुझे क्यों याद किया है?
रावण बोला - पितामह, मैं बहुत दु:खी हूं, ये नगरवासी मुझे धिक्कारते हैं और अब ही आप मेरी रक्षा करें।.

रावण की बात सुनकर पुलस्त्यजी बोले - तुम डरो नहीं, इस बंधन से जल्द ही तुमको मुक्ति मिल जाएगी. तुम विघ्नविनाशक गणेशजी का व्रत करो. पूर्व काल में वृत्रासुर की हत्या से छुटकारा पाने के लिए इन्द्रदेव ने भी इस व्रत को किया था, इसलिए तुम भी इस व्रत को अवश्य करो. पिता की आज्ञानुसार रावण ने भक्तिभाव से इस व्रत को किया और बंधनरहित हो राज्य को दोबारा प्राप्त किया. मान्यतानुसार श्री गणेश भक्त पौष मास की संकष्टी चतुर्थी पर इस व्रत को श्रद्धापूर्वक रखने से सफलता मिलती है. 

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