पूजा-पाठ के कामों में तुलसी का प्रयोग श्रेष्ठ माना जाता है, वैसे ही व्रत विधान में पीपल, नीम और बरगद के पेड़ को विशेष महत्व होता है. पीपल के पेड़ में देवताओं का वास होता है. पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर रखने के बाद वापस पीछे नहीं देखा जाता है.
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नई दिल्ली: आप जब भी हॉरर फिल्म (Horror Films0 देखते हैं या किसी बड़े बुजुर्ग से भूतिया किस्से कहानी सुनते हैं, तो उसमें पीपल के पेड़ का जिक्र जरूर होता है. शायद यही कारण है कि बहुत से लोग यही समझते हैं कि पीपल के पेड़ पर भूत रहते हैं. पर सच कुछ और ही है. इस पेड़ पर भूतों का वास नहीं बल्कि देवताओं का वास होता है.
भूत को देखा किसने?
कहते हैं कि पीपल के वृक्ष पर भूत रहता है लेकिन उसको देखा किसने है......बहुत से लोग पीपल के नीचे दीपक जलाते हैं, क्या वो भूतों को खुश करने के लिए ऐसा करते हैं. ऐसे बहुत से सवाल हैं जो हर किसी के मन में जरूर उठते होंगे. तो ऐसी ही कुछ बातें जो पीपल के पेड़ से जुड़ी है उनके बारे में बताते हम आपको बता रहे हैं.
पीपल के पेड़ में देवताओं का वास
वैदिक मान्यताओं के आधार पर कुछ खास पेड़-पौधों को धर्म-कर्म में विशेष महत्व दिया जाता है. जैसे कि पूजा-पाठ के कामों में तुलसी का प्रयोग श्रेष्ठ माना जाता है, वैसे ही व्रत विधान में पीपल, नीम और बरगद के पेड़ को विशेष महत्व होता है. पीपल के पेड़ में देवताओं का वास होता है. स्कन्दपुराण में कहा जाता है कि पीपल के पेड़ में भगवान विष्ण का वास होता है. पीपल के वृक्ष को अक्षय वृक्ष भी कहा जाता है जिसके पत्ते कभी समाप्त नहीं होते.
पीपल पर इसलिए चढ़ाया जाता है जल
ज्योतिष में भी पीपल के पेड़ की महिमा है. शनि से संबंधित समस्यायों के लिए पीपल वृक्ष लगाने, जल देने आदि उपाय बताए जाते हैं. पीपल में रात को एक खास क्रिया करने का गुण होता है जिसके चलते पीपल रात को भी ऑक्सीजन देता है जबकि बाकी के पेड़ ऐसा नहीं करते. इस पेड़ की जड़ में जितना पानी दिया जाता है वो उतना ही ऑक्सीजन देता है. यही कारण है कि पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना शुभ माना जाता है. ये प्रकृति के लिए भी अच्छा है. ऐसा माना जाता है कि पीपल के वृक्ष में पानी देने से व्यक्ति जन्म-जन्म के पापों से मुक्त हो जाता है.
पीपल के पेड़ पर आत्माओं के वास की मान्यता के पीछे कारण
कहते हैं कि पीपल के पेड़ को कभी काटना नहीं चाहिए ऐसा करने से पितृदोष लगता है. पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर रखने के बाद वापस पीछे नहीं देखा जाता है. पीपल के पेड़ पर आत्माओं के वास की मान्यता के पीछे कारण ये भी हो सकता है कि अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को घर नहीं लाया जाता है और पीपल के पेड़ से लटका दिया जाता है. इसी के चलते लोगों के बीच ये धारणा बन चुकी है कि मरने वाले की आत्मा पीपल के पेड़ में रहती है.
कृष्ण को प्रिय है पीपल
पीपल का पेड़ बहुत ही शुभ माना जाता है. भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय वृक्ष है पीपल. गीता में श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं कि वृक्षों में मैं पीपल हूं. शास्त्रों में इसे एक दैवीय पौधा बताया गया है.
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वेदों में पीपल का पेड़ पूजनीय
वेदों में भी पीपल के पेड़ को पूजनीय कहा गया है. इसके मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और अग्रभाग में शिव का वास बताया गया है. स्कंद पुराण में कहा गया है कि पीपल के मूल में विष्णु, तनों में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्रीहरि और फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत भगवान निवास करते हैं.
घर में लगाने की मनाही क्यों?
पीपल वृक्ष को घर में न लगाने के लिए कहा जाता है. लेकिन इसके पीछे साइंटिफिक रीजन भी है, वो ये कि इसकी आयु बहुत लम्बी होती है और इसकी जड़ें भी लगातार बढ़ती रहती हैं. साथ ही जमीन में काफी गहराई तक फैलती हैं. यदि घर में पीपल लगाया जाए तो उसकी जड़ें धीरे-धीरे फैलती रहेंगी और घर की जमीन और दीवारों को फाड़कर बाहर निकल जाएंगी. इससे घर को नुकसान होगा. इसी वजह से पीपल को घर में लगाने से मना किया जाता है.
ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन काल में जब लकड़ी ईंधन का मुख्य स्त्रोत थी, उस समय पेड़ों को काटकर इसकी व्यवस्था की जाती थी. ऐसे में किसी भी पेड़ को काट लिया जाता था. चूंकि पीपल का पेड़ 24 घंटे ऑक्सीजन देता है, इसलिए लोगों के बीच में ये बात फैलाई गई कि पीपल पर भूत रहता है. इस खबर से लोगों में डर पैदा हो जाए और लोग पेड़ न काटें. इसका उद्देश्य सिर्फ पीपल को बचाना होता था.
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