साल 1914 में एक दुकानदार शिवजी के द्वारा इसकी दुकान शुरू की गई थी. ऐसा कहा जाता है कि बुलंदशहर और आसपास के एरिया में दूध की मात्रा काफी होती थी, जिसके चलते उन्होंने दूध की ही अलग सी मिठाई बनाने के बारे में सोचा.
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बुलंदशहर: खुर्जा अपने पॉटरी उद्योग के लिए ही देश ही नहीं विदेश में भी अपनी अलग पहचान रखता है. खुर्जा की क्रॉकरी तो पूरे देश में मशहूर है ही इसके अलावा यहां पर जो सबसे ज्यादा फेमस है वो है खुर्जा की खुरचन. यहां पर 1914 में शुरू हुई खुर्जा की खुरचन की दुकान पर आज भी लोगों की भीड़ देखी जा सकती है. इसका स्वाद ऐसा है कि लोगों की जुबां पर चढ़ जाता है. यहां पर खुरचन का कारोबार करीब 100 साल पुराना है.
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आसानी से मिल जाती हैं दुकानें, पहचान है खुर्जा की
यहां की विशेष मिठाई खुरचन खुर्जा की खास पहचान है. नोएडा, दिल्ली आदि में रहने वाले स्थानीय लोगों के रिश्तेदार भी खुरचन मंगवाना पसंद करते हैं. खुर्जा में इसकी बहुत सी दुकानें हैं. आसानी से आपको किसी भी मार्किट में मिल जाती है.
1914 में शुरू हुई थी दुकान
साल 1914 में एक दुकानदार शिवजी के द्वारा इसकी दुकान शुरू की गई थी. ऐसा कहा जाता है कि बुलंदशहर और आसपास के एरिया में दूध की मात्रा काफी होती थी, जिसके चलते उन्होंने दूध की ही अलग सी मिठाई बनाने के बारे में सोचा. दूध की वैसे तो बहुत सी मिठाईयां बनती हैं. ये कई तरीके से बनाई जाती है. दूध की शुद्ध मलाई से ये खुरचन तैयार की जाती है. दूध की मलाई को बनाकर और सुखाकर लेयरों में तैयार किया जाता है.
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करीब100 साल पुराना है खुरचन का कारोबार
खुर्जा की करीब 30 दुकानों पर खुरचन बनाई जाती है. सामान्य दिनों में एक दुकान पर करीब 20 से 30 किग्रा खुरचन की बिक्री हो जाती है. त्यौहारी सीजन में इसकी डिमांड काफी बढ़ जाती है. बात करें इसकी कीमत की तो ये आपको 360 से 400 रुपये किलो के दाम में मिल जाती है.
इस तरह तैयार होती है खुरचन
यहां के कारीगरों ने करीब सौ साल पहले रबड़ी से एक नई मिठाई को जन्म दिया. उन्होंने रबड़ी की कई परतों को एक, दूसरे के ऊपर जमाकर एक मिठाई तैयार की, जिसका स्वाद लाजवाब था. इस मिठाई को नाम दिया गया खुरचन. धीरे-धीरे खुरचन देश भर में मशहूर हो गई. कड़ाही में खुरचन का दूध उबालते समय बहुत कम चीनी डाली जाती है. जिसके चलते ये बहुत ज्यादा मीठी नहीं होती है.
यहां स्थित है खुर्जा!
खुर्जा उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में बुलंदशहर जिले में दिल्ली से करीब 48 किलोमीटर दूर है. यहां के सड़कें चारों ओर जाती हैं. यहां से सीधे दिल्ली, मेरठ, हरिद्वार, अलीगढ, खैर, आगरा, कानपुर आदि के लिए जा सकते हैं. गेहूँ, तेलहन, जौ, ज्वार, कपास और गन्ना का व्यापार होता हैं. यहाँ मिट्टी के कलात्मक बर्तन बनते हैं. देख विदेश के हर कोने में बोन चाइना से बने बर्तन खुर्जा की ही देन है. रेलमार्ग के द्वारा सीधे दिल्ली और कलकत्ता से जुड़ा है.
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