UP Panchayat Chunav: मार्च-अप्रैल में चुनाव से क्यों बचती हैं सरकारें, जानिए वजह
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UP Panchayat Chunav: मार्च-अप्रैल में चुनाव से क्यों बचती हैं सरकारें, जानिए वजह

वर्ष 1995 के 25 साल बाद यह पहला मौका होगा जब पंचायत चुनाव मार्च-अप्रैल में कराए जाएंगे. इसके बाद साल 2000 में चुनाव मई-जून, 2005 में जुलाई-अक्टूबर तो 2010 में सितंबर-अक्टूबर, 2015 में भी सितंबर-दिसंबर में चुनाव संपन्न हुए थे.

सांकेतिक तस्वीर.

नई दिल्ली: यूपी में पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav) नजदीक हैं. हाई कोर्ट ने ग्राम पंचायत चुनाव (Gram Panchayat Chunav) 30 अप्रैल से पहले कराने के निर्देश जारी किए हैं. इससे पहले निर्वाचन आयोग (State Election Commission) ने हाई कोर्ट (High Court) में पंचायत चुनाव कराने के लिए 60 दिन का समय मांगा था लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब पंचायत चुनाव 30 अप्रैल तक पूरा करने का लक्ष्य है.

ढाई दशक बाद मार्च-अप्रैल में होंगे चुनाव
वर्ष 1995 के 25 साल बाद यह पहला मौका होगा जब पंचायत चुनाव मार्च-अप्रैल में कराए जाएंगे. इसके बाद साल 2000 में चुनाव मई-जून, 2005 में जुलाई-अक्टूबर तो 2010 में सितंबर-अक्टूबर, 2015 में भी सितंबर-दिसंबर में चुनाव संपन्न हुए थे. इस बार के पंचायत चुनाव भी दिसंबर महीने में ही कराने का प्लान था लेकिन कोविड की वजह से इसमें देरी होती चली गई.

मार्च-अप्रैल में क्यों चुनाव नहीं चाहतीं सरकारें
यहां गौर करने वाली बात यह है कि राज्य सरकार हों या निर्वाचन आयोग दोनों मार्च-अप्रैल के महीने में चुनाव कराने से बचते हैं. इसके पीछे कई कारण हैं. पहला, यह वित्तीय वर्ष का अंतिम महीना होता है जिसकी वजह से सरकारी कामकाज ज्यादा होता है. सरकारी कर्मचारी इन्हीं कार्यों को पूरा करने में व्यस्त रहते हैं. वहीं, दूसरा कारण है मार्च-अप्रैल के बीच का समय किसानों के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसी समय रबी फसलों की कटाई हो रही होती है और किसान इसी में व्यस्त रहते हैं. 

17 मार्च तक आरक्षण प्रक्रिया, 30 अप्रैल तक चुनाव संपन्न कराने का निर्देश
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि उत्तर प्रदेश में पंचायतों की आरक्षण प्रक्रिया 17 मार्च तक हो जानी चाहिए. इसके अलावा पंचायत चुनाव 30 अप्रैल तक संपन्न कराकर 15 मई तक सभी पंचायतों के गठन का आदेश दिया. दरअसल, याची विनोद उपाध्याय ने 13 जनवरी तक पंचायत चुनाव न होने को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिका में  पांच साल के अंदर पंचायत चुनाव न कराए जाने को आर्टिकल 243(e) का उल्लंघन माना था, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार ने कोविड के चलते पंचायत चुनाव को समय से पूरा नहीं करा पाने को वजह बताया था.

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