UP Vidhansabha Chunav 2022: असमोली सीट पर साइकिल होगी पंचर या खिलेगा कमल? यहां M-Y फैक्टर तय करता है नतीजे
समोली विधानसभा में सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. उसके बाद दलित और तीसरे नंबर पर आते हैं यादव मतदाता. हालांकि, यहां MY (मुस्लिम-यादव) फैक्टर ही वोट बैंक के नतीजे तय करता है.
संभल: उत्तर प्रदेश में अगले साल यानी 2022 के शुरुआती महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. सभी पार्टियों रणनीति बनानी शुरू कर दी है. इसके साथ ही चुनाव जीतने के लिए सभी हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. ऐसे में जनता को भी विधानसभा सीटों का समीकरण समझना बेहद जरूरी है. आज हम बात करेंगे यूपी के ऐतिहासिक जिले संभल के असमोली सीट की. तो आइये जानते हैं असमोली सीट का राजनीतिक इतिहास, पिछले चुनावों का रिजल्ट समेत अन्य कई जानकारियां....
वर्तमान में इस सीट पर सपा का है कब्जा
राजनीतिक दृष्टि से संभल जिले की असमोली सीट की काफी अहमियत है. संभल में विधानसभा की चार सीटे हैं. वर्तमान में इन चार सीटों में से दो सीटे समाजवादी पार्टी के पास है, जबकि दो सीट पर बीजेपी का कब्जा है. इनमें से ही एक सीट है असमौली. असमौली उत्तर प्रदेश विधानसभा का निर्वाचन क्षेत्र संख्या 32 है. साल 2017 से लेकर अब तक सपा की विधायक पिंकी यादव इस कुर्सी पर विराजमान हैं. हालांकि, कुछ महीनों बाद होने वाले चुनाव में ये सीट किसके खाते में जाएगी, किस पार्टी का पलड़ा ज्यादा भारी होगा, ये कहना बेहद मुश्किल है.
क्या है जातीय समीकरण?
असमोली विधानसभा में सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. उसके बाद दलित और तीसरे नंबर पर आते हैं यादव मतदाता. हालांकि, यहां चुनाव में MY (मुस्लिम-यादव) फैक्टर ही वोट बैंक के नतीजे तय करता है. इस सीट पर सबसे ज्यादा आबादी किसानों की है. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्र सबसे ज्यादा हैं.
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वोटर्स की संख्या
साल 2017 के आंकड़ों के अनुसार, इस सीट पर कुल 3 लाख 48 हजार 577 मतदाता हैं. इनमें सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर्स (33 फीसद) हैं, फिर दलित (24 फीसद), यादव (19 फीसद), सैनी (13 फीसद) और जाट (11 फीसद) हैं.
क्या है राजनीतिक इतिहास?
असमौली विधानसभा सीट बनने के बाद यहां पहली बार साल 2012 में विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें समाजवादी पार्टी की पिंकी यादव ने जीत दर्ज की. पिंकी यादव ने 73873 वोट मिले थे. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी बसपा के अकीलुर्रहमान खां को करीब 26389 वोटों से हराया था, जिन्हें कुल 47,484 वोट मिले थे. साल 2012 में इस सीट पर कुल 2 लाख 97 हजार 727 मतदाता थे. इनमें से 1 लाख 61 हजार 549 मतदाता पुरुष, जबकि 1 लाख 26 हजार 880 महिला मतदाता थीं. बता दें कि इस सीट पर दो बार से लगातार सपा का ही कब्जा है. हालांकि, पिछले चुनाव यानी 2017 में बीजेपी सदस्य ने कड़ी टक्कर दी थी. वहीं, पिछली बार की तहर इस बार भी इस सीट पर सपा, बसपा और भाजपा की जबरदस्त त्रिकोणीय टक्कर मानी जा रही है. ऐसे में इस बार देखना ये होगा कि सपा इस सीट पर अपनी दावेदारी बरकरार रखती है या विपक्षी दल बाजी मार ले जाएंगे.
क्या था 2017 चुनाव का परिणाम?
17वीं विधानसभा यानी साल 2017 के चुनाव में पिंकी यादव को 97610 वोट मिले थे. इसके साथ ही वो लगातार दूसरी बार विधायक बनीं. वहीं, बीजेपी के नरेंद्र सिंह 76484 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे. इस विधानसभा चुनाव में बसपा के प्रत्याशी पूर्व मंत्री अकीलुर्रहमान खां तीसरे नंबर पर रहे.
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असमोली में ओवैसी बिगाड़ सकते हैं सपा-बसपा का खेल
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं यूपी का सियासी पारा बढ़ता जा रहा है. इसी बीच एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की यूपी चुनाव में दस्तक से भी हलचल तेज हो गई है. वहीं, ओवैसी की एंट्री से सपा-बसपा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि आवैसी की नजर सपा-बसपा के परंपरागत वोटरों पर है. इसका सबसे ज्यादा प्रभाव असमोली और संभल विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिल सकता है. वजह है यहां के वोटर्स.
दरअसल, यहां पर मुस्लिम वोटरों की अच्छी खासी संख्या है. ऐसे में वह किसी भी गणित को बना और बिगाड़ सकते हैं. गौरतलब है कि ओवैसी ने पिछले विधानसभा चुनाव में भी संभल विधानसभा सीट से जियाउर्रहमान बर्क को उतारा था. वह अच्छे खासे वोट लेकर दूसरे स्थान पर आए थे. ऐसे में अगर इस बार भी ओवैसी ने असमोली से किसी प्रत्याशी को उतारा, तो सपा-बसपा को सीधा नुकसान हो सकता है. इसके साथ ही अगर ओवैसी के साथ ओमप्रकाश राजभर के साथ-साथ कुछ और छोटे दल मिल गए तो सपा-बसपा उम्मीदवारों का खेल बिगड़ सकता है.
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कौन हैं विधायक पिंकी यादव?
सपा विधायक पिंकी यादव एक दबंग नेता के रूप में जानी जाती हैं. उन्हें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का रिश्तेदार भी बताया जाता है. उनका जन्म 25 मार्च 1981 में हुआ था. उन्होंने ग्रेजुएशन और लॉ की पढ़ाई की है. उनके पति का नाम प्रमोद यादव है. पिंकी यादव को राजनीति विरासत में मिली है. उनके दादा बिशन सिंह जनता दल में 2 बार विधायक और 1 बार मंत्री पद पर रह चुके हैं. वहीं, उनके पिता विजेंद्र सिंह यादव संभल लोकसभा से कांग्रेस के 1 बार सांसद रह चुके हैं. इसके अलावा कांग्रेस व सपा में 3 बार विधायक और 1 बार दुग्ध मंत्री रह चुके हैं. उनकी मां कुसुम लता यादव भी मुरादाबाद जनपद की 2 बार जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर रह चुकी हैं.
मोदी-योगी लहर में भी हासिल की थी जीत
अगर बात करें पिंकी यादव के राजनीतिक सफर की तो, साल 2012 में समाजवादी पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट दिया. चुनावी मैदान में पहली बार उतरते ही उन्होंने जीत हासिल की. 5 सालों तक विधायक की कुर्सी पर बैठी रहीं. वहीं, 17वीं विधानसभा चुनाव यानी 2017 में प्रदेश भर में मोदी-योगी की लहर होने के बावजूद पिंकी यादव ने दोबारा चुनाव जीता और विधानसभा पहुंची.
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